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Saturday, 28 October 2023
हम तेरे बन्दे हैं मालिक, हमें माफ कर
खुदा मुझे माफ कर
मेरी गलत सोच पर
दुनिया के इन कारनामों पर
मेरे मालिक मुझे माफ कर
हँसी आती है मालिक
तेरे बंदों पर, खुद पर
लगा कर आग खुद दुनिया मे
कहते हैं कि हम पानी डालने वालों से है
सिर पर टोपी, दाढ़ी भी बड़ी घनी
जुबां पर गालियों के फूल
इंसानियत पर भी कांटे चुभे हुए
I support फिलिस्तीन
Social media पर एक अलग मुजाहेरा करते हैं
शायद हमे उमर की खिलाफ़त याद नहीं
हम भूल चुके हैं इस्लामी हुकुमत को
जिस नाच गाने की इस्लाम में कोई जगह नहीं
उसी के बिना हमारा दिन गुज़रता नहीं
ये सारी गलतियां हम कर रहे हैं मालिक
लेकिन तेरे बन्दे हैं, हमे माफ़ कर
क्या वाकई ये जंग है
या हमारे गुनाहों का नया अज़ाब है
जब हम नेक राह पर थे
पूरी दुनिया मे हम ही शहंशाह थे
हमारे गुनाहों की सज़ा उन बेगुनाहों न दे
रहम कर मालिक, हमे माफ़ी दे
हम जानते हैं मालिक
जिस गलती को देख उमर ने
अपने बेटे को माफ़ तक न किया
आज हम खुले आम
छेड़ते हैं गैर मेहराम
लेकिन तूने इब्न ए उमर को माफ़ किया
हमारी भी दरख्वास्त है मालिक,
फिलिस्तीनीयो को भी बचा
औरतों को पर्दे का हुक्म है
मर्दों का भी नजरो को झुकाना
सुन्नत ए नबी है
हर एक सुन्नत का जनाज़ा हम रोज़ निकालते हैं
मेरे खुदा वो ज़ालिम सब को बेपर्दा कर रहे हैं
हम बस यही दुआ कर रहे हैं
जो बिलावजह जुल्म कर रहे हैं
मेरी दुआओं को कुबूल कर
उन ज़ालिमो से मासूमों को बचा
हुक्मरानों ने जब ख्वाजा को पानी नहीं दिया
तूने पानी को ख्वाजा के पास भेज दिया
हमारी ज़ाहिलीयत भी कम नहीं
प्यासों को पूछना भी अब हमें ग्वारा नहीं
मालिक उन प्यारे बच्चों को भी
गैब से रोजी अता कर
हमारे गुनाहों की सज़ा उन्हें न दे
हम तेरे बन्दे हैं मालिक, हमें माफ कर
तू तो हर दिन हमें आवाज देता है
हम बेहयाइयो में सारा वक्त गुज़ार देते हैं
मस्जिदें खाली छोर,
सिनेमा घरों की शान बढ़ाते हैं
तेरा करम है,
मस्जिद ए अक्सा की शान बरकरार है
मालिक मस्जिद ए अक्सा की हिफाजत कर
हमारी गलतियों के लिए हमें माफ़ कर
मोदी मुस्लिमो पर ज़ुल्म करता है
सभी के जुबां पर यही कौल रहता है
चौबीस घंटे में
चौबीस हजार सुन्नतौ का जनाज़ा निकालते हैं
खुद को मुसलामान कहते हैं
हमें राहे मुश्तकीम पर चलने की तौफिक अता कर
मालिक फिलिस्तीनी की हिफाजत कर
किसकी अच्छाई बयां करूं
आँखों की या
हमेशा गानों की तरानो से भरे कानो की
गंदी फ़िल्मो की दीदार करते ये आंख
जुबां भी खुले तो गालियों के फूल बरसे
खुद को मुसलामान कहते हैं
अपनों का गला भी बड़े शौक से काटते हैं
इन सब की सज़ा से उन मजलूमो को बचा
हमें सही राह पर चला
इंसानियत के कौम को बचा
हमें माफ कर मालिक
सब पर रहम कर
फिलिस्तीनी को बचा
ऐसा कुछ फिर एक बार करिश्मा कर
Mohd Mimshad
Sunday, 15 October 2023
फ़लस्तीन कथा इन शॉर्ट
घर था तीन कमरों का। उसमें चार लोगों का एक परिवार रहता था।
बाहर से एक बंदा आया। लोगों ने किराए पर एक कमरा दे दिया। कुछ महीनों बाद उसने वरांडा क़ब्ज़ा कर लिया। लोगों ने सवाल किए तो चीखने लगा कि मुझ पर अत्याचार हो रहा। पड़ोसी ने सहायता की और उसने एक और कमरा क़ब्ज़ा कर लिया।
पंचायत ने फ़ैसला दिया कि बाहर से आये आदमी को दो कमरे मिलेंगे। एक कमरा और वरांडा मकान मालिक का होगा। पंचायत का हेड दोस्त था बाहरी का।
बाहरी ने फ़ैसला नहीं माना और दोनों कमरों के साथ वरांडा भी क़ब्ज़ा कर लिया। फिर कुछ दिन बाद किचन भी क़ब्ज़ा कर लिया। आख़िर में पूरा घर क़ब्ज़ा कर लिया और पिछवाड़े की जगह मालिक को दे दी। बाहरी ने अपने रिश्तेदारों को भी बुला लिया।
बाहरी का दावा था कि उसके पूजाघर में रखी किताब में लिखा है कि यह घर उसका है और उसके पुरखे 3300 साल पहले 70 दिन यहाँ रह चुके हैं।
पिछवाड़े में वे शेड डालकर रहने लगे। बाहरी ने बिजली काट दी। पानी की सप्लाई रोक दी। फिर एक दिन उस घर के लड़के को इतना मारा की हड्डी टूट गई। बाप समझाने गया तो उसको भी मारा।
दूसरे लड़के को ग़ुस्सा आ गया। उसने धक्का दे दिया और बाहरी गिर पड़ा।
बाहरी का दोस्त पड़ोसी चिल्लाया - आतंकी है यह लड़का। गुंडा है। मारो इसको मैं साथ हूँ। पड़ोसी के दिये हथियार से बाहरी पूरे घर को मारने लगा।
उस घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर कुछ सियार रहते थे। पड़ोसी की आवाज़ सुनकर चिल्लाने लगे-मारो मारो मारो
Md Tanweer Alam
Saturday, 14 October 2023
माना कि पत्थर कई है रास्ते पर कामयाबी के
उन्हीं पत्थरो पर कामयाबी की लकीर खिंच
फसल भले ही धूप में जले
तू उसको एक बार फिर से सिंच
देखना कामयाबी खुद कदम चुमेगी
रुसवा जो हैं तुझसे
एक बार फिर स्वागत करेगी
मैं क्या दु तुझे दुआऐ
खुद किस्मत ने दरिया के भंवर में डुबोया मुझे
कहने के लिए ही सही तू कुछ तो मान
दुआ है मेरी
हमेशा साथ तेरी
रुस्वाई पर फतेह करे तू
अपने सारे ख्वाब पूरे करे तू
कांटों की लहरों से निकल कर
फ़ूलों की खुशबु से अपनी पहचान लिखे तू
माँ सरस्वती की कृपा रहे
लक्ष्मी जी भी तुझ में वास करे
माँ पार्वती सी दुनिया में राज करे तू
कभी दूर्गा बन
किसी राम को उसके मंजिल तक पहुंचाए तू
*Wishing You The Happiest Birthday*
Mohd Mimshad
Thursday, 5 October 2023
बाबा का मुकाम
पत्थर जैसा जो बेहिसाब सख्त है
कड़क कांटों सा जिसका मिजाज़ है
कभी कली की देखभाल करता है
कभी मिट्टी के बर्तनों को तरासता है
वही है जो नई दुनिया के दर्शन कराता है
कोई और नहीं ये मुक़ाम पिता के हिस्से आता है
खुद को धूप में जला कर
दो वक्त की रोटी सेकता है
खुद फूलों की तरह बिखर कर
दूसरों तक महक फैलाता है
ये हुनर सिर्फ़ एक पिता को आता है
ये मुक़ाम सिर्फ़ पिता के हिस्से आता है
सड़कों की बात करूं मैं
या फिर कहानी सुनाऊँ एक खेव्वैये की
मंज़िल तक राहगीर को पहुंचाकर
अपने जगह वापस आ जाता है
ये किस्सा एक पिता की याद दिलाता है
ये मुक़ाम एक पिता के हिस्से आता है
खाई हो या दरिया में तन्हाई हो
सब से लड़ना आता है जिसे
परेशानियों को परेशान कर
हर मुश्किलों से लड़ना आता है जिसे
शोलों से भी ज्यादा चिंगारी सीने में भर कर
परिवार के लिए एक अलग अवतार लेता है
ये मुकाम एक पिता के हिस्से आता है
अपने सच्चे ख्वाब का गला घोट कर
अपने बच्चों में एक नए सपने के जाल को बुनता है
बस्ते को खरीद कर बड़े प्यार से मुस्कराता है
एक उम्मीद की नई किरण के साथ
बच्चे को स्कूल तक छोर कर आता है
बाबा ने मेरे लिए क्या किया
बच्चे उनके मुह पर कह कर जाता है
ये सब कुछ एक पिता सहता है
ये मुकाम एक पिता के ही हिस्से आता है
ऐ आज के ज़माने के लड़के
जगह को देख तू एक दिन अपने पिता के
वो रोज कितने ठोकरों का सामना करता है
जिस पैसे से तू ऐयाशी करता है
उसे जमा करने के लिए एक पिता
रोज पुलसेरात से गुज़रता है
ये मुकाम सिर्फ़ एक पिता के हिस्से ही आता है
खुद गुलाम की तरह जिंदगी गुज़रता है
अपने लाडलों को शहंशाह बनाता है
ईद हो या हो दिवाली
फटे कपड़ों में ही उसकी शान बनी रहती है
त्योहारों पर नए कपड़े होने ही चाहिए
हमेशा उनके जुबां पर ये बात रहती है
पापा की परी लोग कहते है जिसे
एक पिता को वो जान से भी प्यारा होता है
ये मुकाम भी एक पिता के हिस्से आता है
तारीफ़ करू या बाबा की दर्द बयां करू मैं
मेरे कलम में वो ताकत नहीं
पिता के शख्सियत को कागज पर उतारू मैं
शायद यही कारण है
शायर के कलम कांपते होंगे
बाबा का नाम सुन कर शायर भी डर जाते होंगे
माँ के बारे सभी लिखते हैं
लेकिन पिता से तुम्हारे सारे गुण दिखते हैं
बाबा आज मैं अकेला हू
कौन सहारा देगा
तुम थे तो हिम्मत थी मुझमें
हर सवाल का ज़वाब तुझसे मिलता था
बेशक यह मुकाम भी तेरे ही हिस्से आता था
Mohd Mimshad
Wednesday, 4 October 2023
याद आए वही पुराने दिन
कल जब मैं घर को लौट रहा था
तुम फिर एक बार दिखी थी
काफी खुश लग रही थी
बस झूम कर मुस्कुरा रही थी
मुझे फिर याद आए वही पुराने दिन
वही तेरी बालों की हरारत
तेरी नादानीया, तेरी बेबाकीया
तेरे कई सवाल, मेरे हर जवाब
याद मुझे आज भी सबकुछ है
शायद अब तुझे मैं याद नहीं
मुझे भूलना मत
आखिरी दिन ये कौल तुम्हारा था
मुझे यू अकेला छोड़ना
ये हसीं फैसला भी तेरा था
नफरत नहीं है मुझे तुमसे
बस मैं गुस्सा हूँ खुदसे
एक बेईमान को
हमदर्द समज लिया मैंने
जिसे कोई मतलब ही न था
उसे मैंने बिना मतलब ही अहम मुकाम दे दिया
सकल अच्छाई का दिखाकर
तू तो बाहिजाब निकला
अब नहीं करता तुझे मैं याद
अपनी तल्ख़ जुबां पर अब गुमान है मुझे
अपनी नर्मी का अब पछतावा है मुझे
सीख रहा हूं मैं भी अब
दुनिया को पढ़ने का हुनर
यहां तेरी तरह
सब बाहिजाब है
शिकायत तुझसे नहीं है
खुदा का शुक्र है
उसने मिलाया मुझे तुझसे
आज दुनिया मे चलने के लिए
आगाह किया उसने
नफरतो की आग सीने में भड़क रही है
कांटों से एक नया समंदर भर रहा है
दिल भी पत्थर बन रहा है
दया के आंसू भी अब सुख रहे हैं
अपनी नादानी में मैंने गलती की
दूसरों पर भरोसा किया
इंसानियत की कीमत कुछ भी नहीं
अपनों ने ही मुझे बेसहारा किया
Mohd Mimshad
ख्वाब तेरे हैं, बेशक तेरे हैं
इस आजमाइश की दुनिया मे
सारे इम्तेहान तेरे हैं
रास्ते मे परे पत्थर को तोड़
आग के दरिया को तू हंस कर पार कर
दुआ है मेरी फूलों सा खुशबु फैलाए तू
ख़्वाब पूरे हो, कामयाबी का झंडा फहराए तू
परेशानियों को यू परेशान कर
हमदर्द को हमेशा झुक कर सलाम कर
दरिया तेरे गीत गाए
आसमान भी तेरे नगमें गुनगुनाए
अपने नाम को ऊंचा कर
नए सपने को पूरा कर
इस नए साल में एक नई कहानी लिख
अपने हौसलों से अपनी कामयाबी लिख
Happy Birthday
Mohd Mimshad
Saturday, 16 September 2023
बाबा की ज़िंदगी
तुझसे सवाल मेरा एक है
ऐ जिंदगी मुझको तू बता
क्या कोई और भी है दूजा
जो बराबरी कर सके एक पिता का
आओ कुछ अनकही कहानी सुनाऊं मैं
बाबा की दिल का कुछ हाल बताऊ मैं
कोई किस्सा नहीें जिसमें हो कोई राजा या रानी
ये जज्बातों की एक अलग मिसाल बताऊ मैं
कुर्बानी उनकी क्या बताऊँ मैं !!
पूरे दिन की क्या दस्ता सुनाऊं मैं !!
कभी ज़िल्लत को हंस के सर आंखों पर सजाया
कहीं खुद को ही अपने नजरो में गिराया
पानी नहीं पसीने से नहाते थे वो
जुबा से मिठास फैलाते थे वो
ज़िंदगी की हर परेशानियों को हंस कर हल करते थे
हमे भी सिखाते थे, बहुत मशक्कत करते थे
बाबा तेरी जगह कोई नहीं ले सकता
मेरी क्या औकात मैं तुझे कभी पूरा नहीं कर सकता
तू हमेशा जो कहता था दुनिया बड़ी बुरी है
तेरी हर एक कौल को पत्थर की लकीर पाई है
बाबा ही तो है जो हमें कामयाब देखना चाहता है
बाकी सब तो बस नजरो से गिराना चाहता है
एक पेड़ बनकर अपने परिवार को तूफ़ानों से बचाते हैं
उसके गिरने पर जानवर तक खाने को आ जाते हैं
मेरी ये भी मज़ाल नहीें तेरी तारीफ़ करूं
कैसे भुलाउ तुझको मैं हर पल याद करूं
बाबा तू एक अनकही सच्चाई है
दुनिया तो बस खूबसूरत सी झूठी कहानी है
ज़माना कर न सका तेरे कद अंदाजा
तू तो आसमान था फिर भी सर झुका कर चलता था
बाबा की हकीकत इतनी आसान नहीं की बयां हो जाए
दुआ है तेरे जाने के बाद भी तेरा नाम सलामत रहे
Mohd Mimshad
Tuesday, 5 September 2023
Is the BJP losing the 2024 Lok Sabha elections?
Is the BJP losing the 2024 Lok Sabha elections?
The numbers don't indicate it yet
They have their strongholds — UP, MP, Gujarat — that's a safe 115 Seats in their pocket
The Manipur incident apart , they still have a fortress in North East India — Assam is a shoo in, Arunachal is a guarantee, Tripura too and Sikkim as well.
That's another 51 Seats
I estimate their vote share may fall by 3–4% due to Anti Incumbency
That's 166 Seats
For the rest of India — they will definitely have no chance in Tamilnadu, Kerala and Telengana
Karnataka?
Sorry. I see BJP take at least 20 seats worst case. Modi may be heavily disapproved but people won't vote against him yet.
Same in Delhi.
They like the policy of — For State Kejriwal, For Centre Modi
I see at least Five Seats
They won't be so ahead like 2019 in West Bengal. I expect Leftists to grab at least 4 Seats and TMC at 30 leaving only 7 BJP seats
That's 206 Seats
Maharashtra is a toss up
Uddhav Thackeray is a Thackeray after all and the NCP has the Dalits and Muslims locked in
It would be a battle of equals
I sense an upper hand to the Maratha Mulgas Uddhav and Sharad Pawar
Neither Shinde nor Ajit Pawar have the grassroot strength among the voters and remember the local grassroots weren't paid their “incentives" like the MLAs were
Let's see
No Predictions here
Even if NDA gets half that's 24 Seats
That's 230 Seats in Total so far
Bihar is where I expect Modi will get his biggest loss of voter share
Nitish and Tejaswi and Left combined will draw at least 26 Seats and BJP may end up with 9 Seats on their own
That's 239 Seats
So the Numbers don't suggest a loss
239 Seats means only 33 Seats needed to form a government out of 133 remaining seats
Of these 133 seats — Regionals and Unallied parties take 76 seats guaranteed
So that's 57 Seats that I believe BJP will win or their allies
So I estimate 296 Seats that NDA will win even assuming a worst case scenario today
I estimate India will get 161 Seats in the 2024 Lok Sabha elections with INC getting 97–102 Seats
Like I said
This is Rahul's chance to use the next five years to be a true national leader of the opposition.
You need minimum 55 Seats to become Opposition Leader and now Rahul will be the true Opposition Leader
More Bharat Jodos
More Peaceful Gandhian Non Violent protests for BJPs excesses
More Propaganda
2029 will be when the BJP will be finally destroyed and won't come back for at least 20 years
If the India somehow win 2024 by some numbers stacking up, the BJP will return roaring back in 2027 and will not go for another two elections at least
So we have another 6 years of Modi unless he dies or resigns
:- Balasubramaniam
(Advisor & Tutor at Staff Selection Commission Combined Graduation Exam)
Friday, 1 September 2023
واہ رے مسجد کے امام
واہ رے مسجد کے امام
تنخواه کم اور بڑھتے دام
چوبیس گھنٹے تیرا کام
امام سے تُو بنا غُلام
واہ رے مسجد کے امام
چھٹتی تُجھ کو مل نہ پائے
کیسے اپنے گھر کو جائے
موبائل سے ہی دعا سلام
واہ رے مسجد کے امام
غلطی گر تُجھ سے ہو جائے
جھٹ سے تو مجرم بن جائے
ڈانٹے تُجھ کو خاص و عام
واہ رے مسجد کے امام
کھانا تُو ڈر ڈر کے کھائے
کہیں بُلاوا آنا نہ جائے
کے چلو ذرا ہے تُم سے کام
واہ رے مسجد کے امام
جائے کہیں جب رشتہ تیرا
سوچ میں پڑ جائے گھر سارا
یہ تیری شادی کا پیغام
واہ رے مسجد کے امام
تیری خدمت کوئی نہ جانے
محنت نا تیری پہنچانے
سب کو دکھے تیرا آرام
واہ رے مسجد کے امام
ندیم تُجھ کو پتا نہ چلتا
گر تُوبھی نا امام بنتا
نا لکھ پاتا تو یہ کلام
واہ رے مسجد کے امام
Mohd Tanweer
Thursday, 24 August 2023
ऐ बचपन बता क्या हाल है तेरा
वो ख्वाब तेरे, आसमां में परिन्दे जैसे,
गुलाब की पंखुरी के तरह,
मासूमियत के खुशबु तेरे,
ऐ बचपन तू बता क्या हाल है तेरा ??
माँ की आंखों के तारे
तो कभी बाप का लाडला था
कभी नखरे उठाता
तो कभी सिर्फ तेरा ही बोलबाला था
ऐ बचपन तू बता क्या हाल है तेरा ??
नाना नानी के आंखो की ठंडक तो
मामा खाला के दिल का सुकून था
स्कूल जाते wakt एक डर तो
घर आते wakt एक अलग sa मुस्कान था
ऐ बचपन तू बता ना क्या हाल है तेरा ??
तेरे भी क्या अरमान थे
खुद को पीछे छोर
ज़िम्मेदार बनने के होर थे
सुना है अब तो तेरे ख्वाब पूरे हुए
अब तू भी जिम्मेदारी उठाता है
ऐ बचपन अब बता क्या हाल है तेरा ??
गली के वो गुल्ली डंडे का खेल
अब इस ज़माने में जज्बातों के खेल को देख
तू भी अब सोचता होगा
कहां शराफत की जिंदगी जीने लगा
ऐ बचपन फिर भी कुछ तो बता क्या हाल है तेरा ??
Mohd Mimshad
Tuesday, 22 August 2023
पता नहीं मैं कौन हूँ !!
मैं एक नई दुनिया के
बड़े से दरिया मे
उभरते हुए भंवर में
फसा हुआ
एक छोटा सा कश्ती हूँ
पता नहीं मैं कौन हूँ !!
आगे बढ़ू तो दरिया की लहर है
पीछे चट्टानों से बनी एक बड़ी खाई है
ऐ खुदा अब तुझसे मैं क्या गिला करूं
एक सुनसान किनारे पर अकेला खड़ा हूं
पता नहीं मैं कौन हूँ !!
इस समाज के ताने एक तरफ
कभी खुद के साथ समझौता एक तरफ
न जाने किस सवाल का ज़वाब ढूंढ रहा हूं
एक अनजान सड़क पर निकल पङा हू
खुद के मंजिल को भुला रहा हूं
बस चला जा रहा हूं
पता नहीं मैं कौन हूँ
जीई चाहता है सब छोर कर चला जाऊँ
कुछ ख्वाब है, कुछ जिम्मेदारी है
यही सोच कर चुप हो जाता हू मैं
कभी खुद से बाते करता हू
अकेले में रोता हू, सोचता हूं
पता नहीं मैं कौन हूँ
कोस्ता हूं,
अपने बदकिस्मती पर रोता हू
खुदा से भी यही पूछता हू
पता नहीं मैं कौन हूँ
Mohd Mimshad
बाबा की कुर्बानी
कल मैंने तुम्हारे कुछ हिसाब देखे
कुछ अनोखे सवाल मिले तो
कई ज़वाब गुमनाम मिले
Abba इतने अकेले थे तुम..
कुछ तो बात करते हमसे
हम तो साथ ही थे ना...
तेरे जगह को कैसे पूरा करू मैं
तेरे चाहने वालों को कैसे शांत करू मैं
बहुत परेशान हैं तेरे बगैर हम सब
क्या करूं कैसे सब को ज़वाब दू मैं
कुछ तो बात करते हमसे
हम तो साथ ही थे ना...
बहुत अकेले हूँ तेरे बिना
दुनिया वैसी ही मिल रही है जैसा तुझसे सुना
चाहने वालों की गिनती कम है
लूटने वाले हर जगह मिल रहे हैं
कुछ तो बात करते हमसे
हम तो साथ ही थे ना...
बलिदानों की कोई कीमत नहीं इस दुनिया मे
ज़ज्बात का सिर्फ़ मजाक बनता है लोगों की जुबा में
तुम सही ही तो कहते थे
बहुत मुश्किल है इस ज़माने का सामना करना
तेरी हर एक बात पत्थर की लकीर निकली
सीखा देते मुझे भी
कितना आसान होता दुनिया के सामने खडा होना
कैसे करते थे अकेले सब कुछ
कुछ तो बात करते हमसे
हम तो साथ ही थे ना...
मंज़िल तो मेरी कुछ और थी ना
सपने कुछ तुमने भी तो सजाये थे
Abba आखिर क्यों छोर कर चले गए
इस बेरहम सी दुनिया मे एक्दम अकेला कर गए
तेरी जिम्मेदारी, तेरे सपनों को कैसे अकेले पूरा करू मैं
किससे अब मदद मांगू मैं
सब कुत्तों की तरह नोचने लगे हैं
अपनों के भी नियत अब बदलने लगे हैं
इन सब बोझ को कैसे उठाते थे
कुछ तो बात करते हमसे
हम तो साथ ही थे ना..
आज याद तेरी बहुत आती है
तेरे हर दांट सुनने को कान तरसती है
बहुत बाते थी तुझसे करने को
अब किस को अपने दिल का हाल सुनाऊं मैं
कोई decision लेना हो तो किसके पास जाऊँ मैं
तुम किस से बाते करते थे
किस को दिल का हाल सुनाते थे
मैं तो अब लौट आया था ना
कुछ तो बात करते हमसे
हम तो साथ ही थे ना..
Abba फिर भी तेरा शुक्र है
तूने मुझे एक खुशनसीब बेटा बनाया
जहां भी जाऊँ
सब ने तेरा नाम जताया
दिल को एक अलग सा सुकूं मिला
जब तारीफ़ तेरा मैंने औरों से सुना
तेरे नाम को कभी मिटने नहीं दूंगा
सारी जिम्मेदारी मैं अपने सर उठाऊंगा
ख्वाब तेरे मैं पूरा करूंगा सारे
ये तुझसे वादा रहा मेरा
बस हमसाया बन साथ रहना मेरे
एक नया परचम लहराउंगा नाम के तेरे
Mohd Mimshad
Thursday, 17 August 2023
Saturday, 5 August 2023
Thursday, 13 July 2023
ऐ ज़िंदगी तूने तो रुला कर रख दिया
ऐ ज़िंदगी तूने तो रुला कर रख दिया
जाकर पूछ मेरी मां से कितना लाडला था मैं
माँ ने प्यार से गोद में खेलना सिखाया
पापा ने उंगली पकर कर चलना सिखाया
मामा-खाला ने mohabbat से उड़ना सिखाया
नाना-नानी ने इश्क की सीढ़ी बना कर आसमान पर बिठाया
ऐ ज़िंदगी तूने तो रुला कर रख दिया
जाकर पूछ मेरी सब से कितना लाडला था मैं
जब आंखों में आंसू मेरे आते
पूरा घर परेशान हो जाता था
ऐ ज़िंदगी तेरे कदर की क्या तारीफ़ करू
अब तूने मुझे रोने के लायक भी ना रखा
तेरे आशिकी पर कुर्बान जाऊं मैं
तूने मुझे हर मोड़ हर राह पर परेशान किया
कभी सब से जुदा किया
कभी अनजान सी जगह पर अकेला छोड़ दिया
ऐ ज़िंदगी तूने तो रुला कर रख दिया
जाकर पूछ मेरी मां से कितना लाडला था मैं
तोड़ कर तेरी सारी बंदिशें जब मैं वापस आया
तुझे मैं अब क्या कहूं तूने भी खूब प्यार दिया
मुखतशर से वक्त में मेरा कुछ यूं पैग़ाम दिया
आगाज़ हुआ भी न था तूने अंजाम दिया
फिर भी मैं लड़ता रहा सब को तेरे सुपुर्द कर
क्या तूने भी बदला लिया मुझ से सब कुछ छीनकर
तू बता ना मुझे ऐसी क्या खता हो गई
जिसे मैं अपना समझा वो भी छोड़कर चली गई
ऐ ज़िंदगी तूने तो रुला कर रख दिया
जाकर पूछ मेरी मां से कितना लाडला था मैं
तेरी मजाक मुझ से बहुत हुई
लगता है तू मुझे समझा नहीं
मुझे मासूम समझता है
मेरे बदलाव का तुझे अंदाजा नहीं
ऐ ज़िंदगी मेरे व्यक्त बदलने का इन्तेज़ार न कर
तू मुझे खुद दूर कर निश्त-नाबुद कर
गर ठहर गया मैं इस समंदर के तूफ़ान मे
एक ज्वाला का पत्थर बन के उतरूंगा इस जहां में
सब को तुझसे दूर जाने को रोयेंगे
खुदा से मौत की पनाह मांगेंगे
ऐ ज़िंदगी यू ज़ुल्म न कर लोगो पर
हमसाया बन, कदर कर, रहम कर
ऐ ज़िंदगी तूने तो रुला कर रख दिया
जाकर पूछ सब की माँ से कितने लाडले थे सब
Mohd Mimshad
Sunday, 9 July 2023
हम घर को फिर लौट आएँगे
कई रात गुज़ारे आंसुओ की दरिया में
कई दिन कट गए झूठी मुस्कान में
फिर भी एक उम्मीद की किरण थी
एक दिन फिर साथ होंगे
हम घर को फिर लौट आएँगे
चार दीवारों की दुनिया मे
यू सीमट गया था मैं
कुछ करने की चाहत को लेकर
घर से निकल गया था मैं
एक दिन हम भी कुछ कर जाएंगे
हम घर को फिर लौट आएँगे
अकेले तन्हाई के समंदर में
कुछ सपने लिए गोता लगा चुका था मैं
हाय रे ज़िंदगी ! तेरा भी क्या उसूल है
एक गहरे भंवर में फंस गया था मैं
हर भंवर को ज़रूर आएँगे
हम घर को फिर लौट आएँगे
सपनों से ज्यादा तुम याद आते हो
Abba तुम अपना प्यार कभी क्यों नहीं दिखाते हो
Ammi तो खैर है मारती थी,
mohabbat से खाना खिलाती थी
एक दिन सपना तुम्हारा जरूर पूरा करेंगे
हम घर को फिर लौट आएँगे
Mohd Mimshad
Thursday, 6 July 2023
Monday, 3 July 2023
बाबा की नई उम्मीद
एक ख्वाहिशमंद बाप दिल मे कुछ उम्मीद लिए
आंखों में एक सपना लिए
दिल में एक अरमान सजाता हैं
अपने बच्चों स्कूल तक छोड़कर आता है
स्कूल का बस्ता खरीदते वक्त
खुद के टूटे हुए सपनों को
बच्चों के बस्ते में समेटता है
फिर से उम्मीद की नई किरण के साथ
अपने बच्चों स्कूल तक छोड़कर आता है
अपने सारे ख्वाहिशों से मन मारकर
बच्चों के हर जिद्द को पूरा करता है
हर परेशानियों को भुला कर
एक नई सुबह एक नई उमंग के साथ
अपने बच्चों स्कूल तक छोड़कर आता है
शाम में थक हारकर, दुनिया से लड़कर
अपने हर मुश्ताक को खाक कर
अपने बच्चों की मुस्कान के लिए
रास्ते से मिठाई ले आता है
अपने बच्चों स्कूल तक छोड़कर आता है
Mohd Mimshad
Tuesday, 27 June 2023
ऐ खुदा सुन ले मेरी
मैंने सुना था तु रहता है हमेशा सब के साथ
फिर आज कहाँ है तू जब जरूरत है सिर्फ तेरी
बेशक तू सब जानने वाला है
फिर भी तुझे बता रहा हूं
ऐ खुदा सुन ले मेरी
मैं बहुत परेशान हूं
सुना था तुझे याद करने की ही देर है
अब तो दुआवो में भी सब कुछ बताता हूं
क्या करूं मैं, कुछ तो रास्ता दिखा मालिक
अब बस सहारा तेरा ही है
बेशक मैं ग़लतियों का पुतला हू
लेकिन रहीम तू भी तो है
ऐ मेरे खुदा माफ़ी देदे
अब सब कुछ सही करदे
बेशक तू सब जानने वाला है
फिर भी तुझे बता रहा हूं
ऐ खुदा सुन ले मेरी
मैं बहुत परेशान हूं
Mohd Mimshad
Thursday, 15 June 2023
Thursday, 8 June 2023
Wednesday, 24 May 2023
Sunday, 21 May 2023
Saturday, 20 May 2023
ज़िंदगी गरीब के हिस्से की
ऐ ज़िंदगी तेरा क्या कहना !!
दूसरों से तो खूब सुना है कुछ तु भी सुना ना
मालूम है मुझे तू अपनी तारीफ़ ही करेगा
खुद को आराम बताकर मौत के फैसले सुनाएगा
तू बता ना क्या है तेरी जुस्तजू
जवानी का ख्वाब दिखाकर छीन लिया बचपन का हर सू
जवानी में भी तू बड़ा इठलाया
बुढ़ापे का रूप दिखाकर बड़ा डराया
ऐ ज़िंदगी क्या वहम तुने है फैलाया
तकलीफ़ खुद देकर कसूरवार मौत को ठहराया
क्या कसूर है इन बच्चों की
जिसे तुने बस अपना एक झलक दिखाया
इतनी बड़ी बीमारियों में मुबतला कर
खेल कूद से मायूस किया
तू ज़रा हिसाब उन जवानों की भी तो दे
मेहनत करना सिखाया फिर मोहताज बना दिया
हक़दार तेरे तो सब ही है बराबर
फिर क्यों तुने सबकी कद्र न की
मैं तुझसे सबका हिसाब लूँगा
तुझे गुलाम बनाकर अपने कदमो में झुकाउंगा
Farhad तू तारीफ़ करेगा इसकी वो अमीरों के हिस्से जाएगा
गरीबों के सुकूं में सिर्फ़ कब्र का बिस्तर ही आएगा
Mohd Mimshad
Friday, 19 May 2023
Thursday, 18 May 2023
तेरे आने का धोका सा रहा है
तेरे आने का धोका सा रहा है
दिया सा रात भर जलता रहा है
अजब है रात से आँखों का आलम
ये दरिया रात भर चढ़ता रहा है
सुना है रात भर बरसा है बादल
मगर वो शहर जो प्यासा रहा है
वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का
जो पिछली रात से याद आ रहा है
किसे ढूँढ़ोगे इन गलियों में 'नासिर'
चलो अब घर चलें दिन जा रहा है
चलो मान लिया
तेरी मेरी नहीं पहचान चलो मान लिया ।
हम दोनों ही हैं अनजान चलो मान लिया।।
तूमने ठानी है न छोड़ोगे कहीं का मुझको।
खुद ही बन बैठे हो भगवान चलो मान लिया।।
तोड़ कर वादे, वफ़ा, कसमें चली जाती हो।
तुमने मुझपे किया एहसान चलो मान लिया।।
है यकीं तुमको किसी और की हो जाओगी।
पूरे कर लोगी तुम अरमान चलो मान लिया।।
मैने गिरने से बचाया है कई बार तुम्हें।
अब संभालोगी तुम तूफ़ान चलो मान लिया।।
इश्क़ बनकर कभी दिल में रहा करते थे।
चंद लम्हों के थे मेहमान चलो मान लिया।।
मुझे पहचानने की भूल कभी न करना ।
तुमने जारी किया फ़रमान चलो मान लिया।।
हजारों आरज़ू का तूने कत्ल कर डाला।
तुझसे बेहतर नहीं इंसान चलो मान लिया
बस फक्त जिस्म से ये जान निकल जाएगी।
मैं न होऊंगा परेशान चलो मान लिया।।
यूं तो बरसों ही संभाला है मुझे तुमने मगर।
तुम नहीं मेरे निगेहबान चलो मान लिया।।
यूं तो हर रोज़ सिखाए तुझे दुनिया के हुनर ।
हम हमेशा से हैं नादान चलो मान लिया।।
खुद से मेंहदी ने बसाया है गजलों का शहर।
मेरे बस का नहीं उनवान चलो मान लिया।।
क्यों ऐसे हालात नहीं
क्यों तू मेरे साथ नहीं
क्यों ऐसे हालात नहीं
मैं भी मैं हूंँ, तू भी तू है, क्या ऐसा था जो बदल गया
कश्ती तो काबू में थी, क्यों हाथ से साहिल फिसल गया
जब रातें छोटी पड़ जाती थी, वह सपनों की बारात नहीं
क्यों ऐसे हालात नहीं
क्यों तू मेरे साथ नहीं
तू मुझ में है ,मैं तुझ में हूंँ, एक दूजे में रहते हम
तू मेरा गम ,मैं तेरा गम ,एक दूजे का सहते गम
यहां भी रिमझिम वहां भी रिमझिम, बेशक अब बरसात नहीं
क्यों ऐसे हालात नहीं
क्यों तू मेरे साथ नहीं
ख्वाबों में ही मिलते हैं, रूबरू, जमाना बीत गया
तू भी हारा, मैं भी हारी, कोई और ही जीत गया
जिनमें हम डूबे रहते थे, क्यों अब वो जज्बात नहीं
क्यों ऐसे हालात नहीं
क्यों तू मेरे साथ नहीं
ना तू भूला,ना मैं भूली, उन पनघट वाली बातों को
तुझे मैं ढूंढूं मुझे तू ढूंढे, हम ढूंढ रहे जज्बातों को
जब चांद भी शरमा जाता था, वह पूनम वाली रात नहीं
क्यों ऐसे हालात नहीं
क्यों तू मेरे साथ नहीं
क्यों ऐसे हालात नहीं
-देवेन्द्र
समझाना क्या था
जब इकतरफा फैसला था तो
समझना समझाना क्या था
उसको जाना था वो चला गया
तो रोना रुलाना क्या था
जिनके हिस्से में होते हैं सितारे
उनकी किस्मत में रात भी होती है
जब दोनों हैं नसीब में तो
खोना और पाना क्या था।
ये जीवन है खेल बस
मरने और जीने का
जब मालूम ही था कि जाना ही है
फिर मातम मनाना क्या था।
Friday, 12 May 2023
ऐ वक्त्त तू यही ठहर जा
ऐ ख़ुशनुमा सुबह, तेरा क्या ही कहना
ठंडी ठंडी हवाएं, और उसकी ये धीमी रफ्तार
चिडियों का यों चहचहाना
ऐ waqt तू ठहर जा
Wo namaz ka waqt,
Ae khuda क्या वाकई तूने
सारी कायनात हमारे लिए बनाई
Khuda tera बहुत बहुत शुक्रिया
Ae waqt तू यही ठहर जा
सुनहरी किरणें बिखेरता हुआ ये सूरज
अपने वज़ूद को छुपाता हुआ ये चांद
चाँद को गुमान था अपने चांदनी पर
अब सूरज इतरा रहा है अपने मौसीक़ी पर
ऐ सुबह ये कैसा संगम है
चाँद तो जा रहा है, ए सूरज तू रूक जा
ऐ waqt तू यही ठहर जा
न जाने लोग क्यों सोये हुए हैं
किस ख़्वाब में खोए हुए हैं
न सूरज ठहरेगा, न चांद रूक रहा है
फिर ऐ बन्दे तू किस के इन्तेज़ार में रो रहा है
कल का दिन गया, रात भी बीत गई
ऐ सुबह तू यही ठहर जा
परिन्दे खाने की तलाश में निकल रही हैं
दो दानो की भूख उसे उन्हें सता रही है
सच है रोज़ी देने वाला khuda है
बगैर कोशिश के फिर क्यों मर रहा है
मेहनत कर, किस्मत बना, और बोल मेहनत से
ऐ मेहनत तू यही ठहर जा
दिन का उजाला अब बढ़ने लगा है
चाँद की चांदनी भी अब जाने लगी है
दोनों अपने waqt का बादशाह है
कोई किसी से कम नहीं
अपने अपने waqt पर दोनों का फलसफा है
ये चांद अभी तो जा रहा है
रात में फिर लौटेगा
तू मेहनत करता रह
ये waqt है जरूर बदलेगा
अपने कामयाबी का जश्न कुछ यूं मनाएगा
फिर तु भी कहेगा
ऐ waqt तू यही ठहर जा
Mohd Mimshad
Friday, 5 May 2023
Monday, 1 May 2023
बनती है इक गजल
जब टूटते हैं दिल और निकलती है आह!आह!
तब बनती है इक गजल, और निकलती है शायरी।।
जब हिलते नही लब, और दिल मे होती कुछ कसक।
तब बनती है इक गजल, और निकलती है शायरी।।
जब नैनों से न हो बात, और मुस्काते जब अधर।
तब बनती है इक गजल, और निकलती है शायरी।।
जब करनी हो गुफ़्तगू, और लफ्ज़ों से मिलते न हो हल।
तब बनती है इक गजल, और निकलती है शायरी।।
जब विरह मे हो मिलन, और अल्फाज ठहर जायें।
तब बनती है इक गजल, और निकलती है शायरी।।
जब भाव हो प्रबल, और कुछ कहने को मचले मन
तब बनती है इक गजल, और निकलती है शायरी।।
जब कीर्ति की हो लेखनी, और स्याही बिखर जाये।
तब बनती है इक गजल, और निकलती है शायरी।।
- डॉ.कीर्ति
क्या है मोहब्बत
कोई मुझसे पूछे क्या है मोहब्बत मैं कहूं बर्बादी है
जिस्मों की है भूख इसे और खून की प्यासी है
सब कुछ लेगी छीन मोहब्बत कुछ ना रहेगा पास तेरे
रह जाए बस मृत शरीर यह रूह भी साथ ले जाती है
तेरे हाल पर हंसेगी दुनिया और पत्थर तुझको मारेगी
नोच खाती है यह मोहब्बत और गम देने की आदी है
गली-गली तू फिरे भटकता बने ना कोई रफीक तेरा
घर-बार से करती दूर मोहब्बत बड़ा यार तड़पाती है
है शक तुझे मेरी बातों पर मुझे देख मेरे हाल को देख
मैं करता था जिसे मोहब्बत उसकी अगले बरस शादी है
कभी हम भी होते थे आशिक अब तो यार शराबी है
कोई हमसे पूछे क्या है मोहब्बत मैं कहूं बर्बादी है
Thursday, 27 April 2023
क्या लिखू मैं तेरे तारीफ़ के दायरे में
रहता था अपने गुमान में,
खुद को हमसाया समझता था
मेरे बदसलूकी ने
आज मुझे गुनाहगार बना दिया
यक़ीन न था कभी उनसे बाते भी होंगी
खुद के बेइज्जती को नजरअंदाज कर
तुमने मुझे कर्जदार बना दिया
मेरा ग़ुरूर इस कदर हावी था मुझ पर
गर सारी खुदाई भी मिल जाती
तो सलाम तक ना करता तुझे
लेकिन हाय ! तेरा ये सादापन ...
खुद के सादगी में समेटकर
तुने मुझे रंगदार बना दिया
दुआ है खुदा से हमारी दोस्ती सलामत रहे
हाथ बढ़ा कर दोस्ती का
ऐ दोस्त ! तुमने मुझे मालदार कर दिया
Mohd Mimshad
Wednesday, 26 April 2023
दाग़ देहलवी की ग़ज़ल 'बात मेरी कभी सुनी ही नहीं, जानते वो बुरी भली ही नहीं'
बात मेरी कभी सुनी ही नहीं
जानते वो बुरी भली ही नहीं
दिल-लगी उन की दिल-लगी ही नहीं
रंज भी है फ़क़त हँसी ही नहीं
लुत्फ़-ए-मय तुझ से क्या कहूँ ज़ाहिद
हाए कम-बख़्त तू ने पी ही नहीं
उड़ गई यूँ वफ़ा ज़माने से
कभी गोया किसी में थी ही नहीं
जान क्या दूँ कि जानता हूँ मैं
तुम ने ये चीज़ ले के दी ही नहीं
हम तो दुश्मन को दोस्त कर लेते
पर करें क्या तिरी ख़ुशी ही नहीं
हम तिरी आरज़ू पे जीते हैं
ये नहीं है तो ज़िंदगी ही नहीं
दिल-लगी दिल-लगी नहीं नासेह
तेरे दिल को अभी लगी ही नहीं
'दाग़' क्यूँ तुम को बेवफ़ा कहता
वो शिकायत का आदमी ही नहीं
दाग़ देहलवी
Monday, 24 April 2023
बस चला जा रहा हूं
ये सुहानी शाम, ठंडी हवाओं की लहर
ये धलता हुआ सूरज, उसकी नशीली किरण
ये बहता हुआ पानी, गोते लगाता हुआ सुकूं
दुनिया की सब परेशानियों दुर, तन्हा जिंदगी के बहुत पास
खुद के मुश्किलों से बेख़बर, बस चला जा रहा हूँ
दोस्तों की ये बेतुकी बाते, रख दे मिजाज़ बदल कर
दोस्तो में क़ायनात है, ऐ इंसान तू दोस्ती कर
हाय ! ये दोस्ती और कुदरत का संगम
ऐ इंसान तू खुदा का शुक्र कर
खुदा का शुक्र करते हुए, खुद के मुसीबतों से गाफिल
दोस्तो का सहारा लेकर, बस चला जा रहा हूँ
सूरज की किरणे अब गुजरने लगे हैं
अब चाँद भी अपनी चाँदनी बिखरने लगे हैं
कहते हैं, दाग है चाँद पर
फिर भी दुनिया चमकाने में लगे हैं
ऐ जहां, ये कैसा दस्तूर है तेरा
हम किसी को रोशनी दे कर भी शियाह बनने लगे हैं
इस चाँद की चाँदनी में, इन हवाओं का बोसा लेकर
खुद शियाह की सकल में, बस चला जा रहा हूं
ये सुनसान रात, ये हाथों से फिसलते हुए रेत
इन जुगनुओं की शरारत, इन पक्षियों की शराफत
हवाओं के मदमस्त झोंके, दरिया की गरगराहट
क्या नजारा है, बस सुकूं का खज़ाना है
खुद के बहुत पास, हसद से बहुत दूर हूं
इस लम्हे को जीकर, बस चला जा रहा हूं
Mohd Mimshad
Saturday, 22 April 2023
तुझ को मेरी न मुझे तेरी ख़बर जाएगी
ईद अब के भी दबे पाँव गुज़र जाएगी
– ज़फ़र इक़बाल
महक उठी है फ़ज़ा पैरहन की ख़ुशबू से
चमन दिलों का खिलाने को ईद आई है
– मोहम्मद असदुल्लाह
है ईद मय-कदे को चलो देखता है कौन
शहद ओ शकर पे टूट पड़े रोज़ा-दार आज
– सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
बादबाँ नाज़ से लहरा के चली बाद-ए-मुराद
कारवाँ ईद मना क़ाफ़िला-सालार आया
– जोश मलीहाबादी
Wednesday, 19 April 2023
मैं हूँ एक मुसाफ़िर
मैं हूँ एक मुसाफ़िर
सफर पर निकला हूँ
न जाने koun सी मंजिल रास
आएगी मुझे
बस एक सुकून की तलाश में निकला हूँ
जब मैंने देखा उसे
जिंदगी कुछ थम सी गई
मैं सालों पीछे रह गया
हमसफर बहुत दूर निकल गए
थामा था हाथ उसका
हर कदम साथ होगी
राहों में कांटे आने लगे
अब सब को गौर से समझने लगे
मैं हूँ एक मुसाफ़िर
मंज़िल का ठिकाना नहीं
अब rabta करना है
मुझे भी हमसफर से
गुजरा हुआ waqt ठीक करना है
खुद पर भरोसा कर के
दूसरों पर भरोसा करना
मेरे सफर की तौहीन होगी
मंजिले खास की जगह
कुछ आम सी जिंदगी होगी
अब हर kadam फूंक फूंक कर रखना है
दूसरों के भरोसे से अब मुझे बचना है
दिखाना है उसे भी
जिसने मुझे तन्हा यू छोड़ा है
बगैर किसी सहारे के
अकेले मैं चला हूँ
मैं हूँ एक मुसाफ़िर
सफर पर निकला हूँ
Mohd Mimshad
Friday, 14 April 2023
Tuesday, 11 April 2023
Monday, 10 April 2023
Friday, 7 April 2023
Haal e Dil
दर्द अब छुपता नहीं छुपाने से
क्या वजह बताये हम tanha रहने की ज़माने से
बड़ा समझाया dil को भूल जा उसे
जो छोड kar chala गया
मगर ziddi है ये दिल
Samajta ही नहीं समझाने से
आज कैसे उसे बेवफा का नाम हम देदे
खुद ही बगावत कर के पाया था जिसे ज़माने से
तुझे क्या गम है कि शराब में डूबा हुआ है तू
इस तरह हजारो सवाल उठते हैं
शाम को मैखाने में
Dost पूछते हैं कौन है वो
जिसने तुझे इस तरह बर्बाद कर दिया
कैसे उनका नाम लेकर
उनको बदनाम करे हम
जिसे इतनी इज्जत से बसाया था
दिल के घराने में
आज महफ़िल में भी tanhai जिनका साथ नहीं chodti
एक waqt tha जब मेरा भी कोई ज़वाब nahi tha
हंसने में हसाने में
तुझे तो कभी कसूरवार समजा hi nahi Maine
गुनाह मेरा ही था जो farq na kar पाया
अपनों में और begano में
और जब wafa की है मैंने
उसका एहसास भी उन्हें जरूर होगा
तब tadpenge हमें पाने के लिए फिर से
मगर हमारा ठिकाना उनसे बहुत दूर होगा
बाते करेंगी हमारी तस्वीर से, कि तुम कहां चले गए
हम khuda k पास चले जाएंगे
तब लाख उसके रोने पर भी
लौट के na आयेंगे
तब उन्हें हमारी आंसुओ की कीमत का अंदाजा होगा
वो ro रही होंगी
जब उसकी गली से गुज़र रहा हमारा janaza होगा
रातों जाग कर हम उसे कैसे पाने की दुआए करते थे
हमारे जाने के बाद उसे मालूम होगा कि हम उन pe कितना मरते थे
Khuda k दर पर वो हमारी तरह फ़रियाद करेगी
आज nahi तो कल मुझ गरीब को ज़रूर याद करेगी
Feroz Shaikh
Wednesday, 5 April 2023
खुदा तेरा शुक्र है।
सोचता था कि गलती की थी मैंने
उनका aihtram karna,
गुनाहगार बना दिया मुझको
उस गुनाह की सज़ा भी क्या खूब मिली मुझको
ब़ाग को बागबां मिल गया
भौरा yu tanha rah गया
Aukat क्या थी मेरी, मुझको पता चल गया
ठुकराया मैंने भी बहुतों को tha
शायद उनका बद्दुआ असर कर गया
Zalim tha इश्क mera
मुझको रुस्वा कर गया
थामा tha हाथ जिसका
वो मुझको अकेला कर गया
Tajurba e आशिकी का क्या खूब मिला
Farhad को sheeri na मजनू को लैला मिला
वो गुनाह e azeem हो गया मुझसे
जो दुआओं में तुझको मांग लिया khuda से
क्या खतरनाक सज़ा होती meri
जो qubul दुआए होती meri
Khuda tera शुक्र है, dua na qubul की tune meri
तुझसे बेहतर koun जनता है क्या haq me hai मेरी
तूने सज़ा भी क्या खूब दिया
Gujasta ko गुनाह बता कर
आइंदा e Farhad ko बेहतर बना दिया
Mohd Mimshad
Monday, 3 April 2023
खुद को ढूंढता रहता हूँ । ।
खुद को खुद मे ढूंढता रहता हूँ
कौन हूँ मैं खुद से ही पूछता रहता हूँ
आजमाइश हैं जिंदगी की
Labo pe मुस्कान है
आंसुओ का समंदर है
कांटों का गुलदान है
गुलाब की पंखुड़ियों की तरह महकता रहता हूँ
मैं हूँ एक बुजदिल, कांटों से भागता रहता हूँ
सोचता हूँ लिखू पत्थरों पर aashiqui का पैग़ाम
डरता हूँ इस ठहरे हुए पानी से
समा लेती है खुद में आशिकी का नाम
पैग़ामे mohabbat, मैं क्या du ज़माने को
करना सीखा saku mohabbat,खुद से ही पहले खुद को
आँखों में पट्टी, दिलों में कई राज़ dafan है
ज़हरों सा पनपता हुआ ये इश्क
तैयार है खुद के हवश बुझाने को
मैं भी हूँ एक तिनका उसी सामाज का
जहां khudgarzi को mohabbat का नाम दिया जाता है
मैं भी khudgarzo की तरह
Mohabbat को ढूंढता रहता हूँ
कहता हूँ मुझे इश्क है उससे
फिर भी aashiqui से डरता रहता हूँ
खुद को खुद मे ढूंढता रहता हूँ
कौन हूँ मैं खुद से ही पूछता रहता हूँ
Mohd Mimshad
Thursday, 30 March 2023
एक नया किताब लिखूँगा
जिंदगी पर एक किताब लिखूँगा
उस में सारे हिसाब लिखूँगा
प्यार को waqt गुजारी लिख कर
चाहतों को azab लिखूँगा
हुआ बर्बाद mohabbat मे कैसे
कैसे बिखरे हैं मेरे ख्वाब लिखूँगा
अक्ल मुझ में बहुत है
खुद को शहंशाह समझता था
समझ जो मुझ में आई
तो खुद को अक्ल का बयाबां लिखूँगा
कर तारीफ़ मेरी, मुझे ज़नाजे पर लिटाया
मैं खुद से ग़ाफिल, यकीं कर बैठा उनपर
उन समझदारों की एक अनसुनी कहानी लिखूँगा
देखा ज़माने को बहुत, खुद की खुदी पर रोते हुए
ना देख सका अभी तक, खुद के खुदी पर हंसते हुए
दूसरों का आशियाना क्यों, खुद की ज़मानत लिखूँगा
इश्क को दरमियाँ न lao, चिंखता हूँ बदन की usrat में
Mohabbat ka ये नया तज़ुर्बा बताऊँगा
इश्क कहते हैं किसे, एक नया किताब लिखूँगा
तज़ुर्बा ज़ाहिलियत का लिखूँगा
In zahilo ka पैग़ाम लिखूँगा
Ishq e nabina की बिनाई लिखूँगा
Aetmad e ishq ka अंजाम लिखूँगा
Dastane रुसवाई जो tune mujhe sunai hai
रुसवाई kya hoti है इस पर एक नया किताब लिखूँगा
Mohd Mimshad
जिंदगी की राह
मेरी जिंदगी एक बन्द किताब है
किताब मे एक मज़मून है
मज़मून में एक शायर है
शायर के हाथ मे कलम है
कलम के स्याही में कुछ अधूरी कहानी है
कहानी में कुछ मजबूरियां हैं
मजबूरी में आशिकी है
आशिक के कुछ सपने हैं
सपने में एक शहजादी है
शहजादी के आंगन में एक बाग है
बाग में बागबां है
बागबां से शहजादी को mohabbat है
Mohabbat में दोनों मशगूल हैं
इधर शायर भी इश्क़ में है
शायर के इश्क़ से बेख़बर शहजादी है
शहजादी k बालों में कुछ हरारत है
हरारत में शायर है
शायर ख्वाब में है
अब ख्वाब टूट चुके हैं
अब एक नया मज़मून है
मज़मून किताब मे है
और किताब बन्द है
मेरी जिंदगी एक बन्द किताब है
Mohd Mimshad
MM Raza #06
# Namaz me बैठी dua 🤲 मांग रही थी
Wo ladki na jane kya माँग rahi थी
लाल thi आंखे, चहरे पर zidd tha
Zulekha thi koi, sayad Yusuf मांग रही थी
# परवाह करने वाले अक़्सर छोर जाते हैं
अपना कर के...........पराया कर जाते हैं
Wafa jitni भी करो कोई फर्क़ nahi padta
मुझे मत छोडना कह कर खुद ही छोर जाते हैं
# मेरे बाद नही आएगा उसे चाहत का ऐसा maza
Wo खुद औरों से कहती फिरेगी मुझे चाहो कोई उसकी तरह
# टूटा हो दिल तो दुख होता है
कर के mohabbat किसी से ये दिल रोता है
दर्द का एहसास तो तब होता है
जब किसी से mohabbat हो
और उसके दिल मे कोई और होता है
Monday, 27 March 2023
तेरी बेवफ़ाई जीत गई
वो शाम बीत गई वो रात बीत गई
तुम्हारे साथ आख़री मुलाक़ात बीत गई
हम भी खड़े थे मुहब्बत की अदालत में
मेरी वफ़ा हार गई, तेरी बेवफ़ाई जीत गई
हमारी वफ़ा का ईनाम कुछ यू तो न देते
जो इल्ज़ाम लगाए तुमने हम पर वो हमसे ही कह देते
इल्ज़ामों वाली वो अदालत बीत गई
फ़ैसला तो आया लेकिन दिल नही माना की
मेरी वफ़ा हार गई, तेरी बेवफ़ाई जीत गई
Tuesday, 21 March 2023
छात्र कविता नहीं अपना यथार्थ लिखता है
छात्र कविता नहीं अपना यथार्थ लिखता है
अपने सपनों के खातिर वो अपनो को पीछे छोड़ आता है
नए शहर के छोटे से कमरे को वो आशियाना बनाता है
घर पर आलीशान बिस्तर पर हमेशा सोने वाला
अब नए शहर में कठोर ज़मीन पर करवटें बदलता है
छात्र कविता नहीं अपना यथार्थ लिखता है
घर के स्वादिष्ट खाने में हमेशा नुक्स निकालने वाला
आज सिर्फ कच्चे चावल-रोटी खा कर सो जाता है
दस बजे उठने वाला अब चिड़ियों से भी पहले जाग जाता है
सुबह उठकर हर रोज अनेक समस्याओं से छात्र टकराता है
फिर भी सबसे मुस्कुराकर अपना दर्द छिपाता है
छात्र कविता नहीं अपना यथार्थ लिखता है।
हर रोज़ कलम उठाकर क्रांति करने का प्रण ये छात्र लेता है
पर पढ़ते-पढ़ते अपने भविष्य की चिंताओं में खो जाता है
कब तक घर से पैसे लेगा ये सोच वो विकल हो जाता है
एक नौकरी पाने के खातिर छात्र हर रोज जोर लगता है
छात्र कविता नहीं अपना यथार्थ लिखता है।
MM Raza #02
1)मिन्नतें क्यों कर रहा है
उसे वापस बुलाने के लिए
Gar मिन्नतों से वो वापस आ जाए
फिर ये इश्क कैसा
2)गलती ye nahi ki मैंने इश्क किया
बस कामयाब होने से पहले कर लिया
3)Sher o शायरी to bas dil बहलाने ka ज़रिया है
Warna lafz kagaz par उतारने से महबूब लौटा नहीं करते
4) क्या बताऊँ apne bare me तुम्हें
Gar समझने ki कशिश hoti तुममें
तो दूर जाते ही क्यों,
बहकावे में किसी और के आते ही क्यों
5) आज aa गया तो क्या खूब है
कल का क्या मालूम
मैं कहीं काफिर न बन जाऊँ
Gar तू sakl e khuda भी इख्तियार कर ले
6) मजबूरियां बहुत है मेरी
परेशानियों का shailab aaya hai
अपने ख्वाहिशें kadmo tale रौंद कर
Mai aik naya फलसफा लिखने chala hu
Saturday, 18 March 2023
MM RAZA #05
1) लिखने का shouk मुझे भी बहुत है
लेकिन मेरा ख्वाब मुझे इजाज़त नहीँ देता
Badshaho की भी क्या badshahat देखी
Birbal को अकबर बनते नहीं देखा
Phir भी कतरा e इश्क chalak जाता है
कुछ अल्फाजों के sakal में
Warna badshahat के अलावा कुछ नहीं देखा
2) तारीफों के dairey से निकलना चाहता हूँ
Khud ka aik नया wajood banana chahta hu
ये तारीफ, ये बड़ाई, ये नुमाइश
सब ने बड़ा रुशवा किया है मुझे
अपनी तारीफ़ be खौफ़ होकर
खुद kar saku
Ye तराना आसमान में लिखना चाहता हूँ
Friday, 17 March 2023
क्यों डर जाता हूँ मैं.........??
हम क्यूँ डर जाते हैं सही बात को कहने में
हम सही हैं ये बताने में
क्यूँ सहते रहते हैं दूसरों का ज़ुल्म
आख़िर क्यूँ, हासिल की थी हमने ये ईल्म
गलती क्या है हमारी
सजा क्यूँ हो रही है हमें
क्या तू ये नहीं जानता
कि कितनी सच्चाई है तुझ में
फिर क्यूँ डर जाते हैं हम खुद को बताने में
जनता हूँ कि सच्चाई करवी होती है
लेकिन ज़हर हमेशा मेरे हिस्से ही क्यों आता है
क्या ज़ुल्म सहना,
ज़ुल्म करने से बड़ा गुनाह नहीं
फिर आखिर क्यों डर जाते हैं हम गुनाहों से बचने में
ऐ खुदा तू बता क्या तेरी यही रज़ा है
ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाना,
क्यों एक सज़ा है
समाज साथ देना क्यूँ नहीं चाहता
ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ बुलंद करना क्यूँ नहीं चाहता
ऐसे सवाल तो बहुत हैं
ऐसे सवाल तो बहुत हैं
फिर भी मैं क्यु डर जाता हूँ सवाल करने में
मोहम्मद मिमशाद
Thursday, 16 March 2023
MM Raza #04
हमने खुद को कुछ इस तरह बदल लिया
कुछ उसको याद किया
कुछ खुद को भूल गया
सही कहूँ तो तेरे धोखे का गम नहीं मुझे
शर्मिंदगी तो बस अपने भरोसे पर है मुझे
मुनीर नियाज़ी की ग़ज़ल 'अपने घर को वापस जाओ रो रो कर समझाता है'
अपने घर को वापस जाओ रो रो कर समझाता है
जहाँ भी जाऊँ मेरा साया पीछे पीछे आता है
उस को भी तो जा कर देखो उस का हाल भी मुझ सा है
चुप चुप रह कर दुख सहने से तो इंसाँ मर जाता है
मुझ से मोहब्बत भी है उस को लेकिन ये दस्तूर है उस का
ग़ैर से मिलता है हँस हँस कर मुझ से ही शरमाता है
कितने यार हैं फिर भी 'मुनीर' इस आबादी में अकेला है
अपने ही ग़म के नश्शे से अपना जी बहलाता है
लावारिस सा पड़ा था, रस्ते पे,
लावारिस सा पड़ा था,रस्ते पे,
के......
लावारिस सा पड़ा था, रस्ते पे
उठा लिया उसने,
धड़कन, बंद होने को थी,
दिल से सटा लिया उसने,
के......
लावारिस सा पड़ा था रास्ते पे,
उठा लिया उसने
धड़कन बंद होने को थी
दिल से सटा लिया उसने,
और.....
इस सूरज को घमंड है,
कि मैं जी नहीं सकता इसके बिना,
अरे डूबना है तो डूब जा,
दिल में चिराग ज़ला लिया उसने।।
- नरेंद्र कुमार
अल्फाजों का बाज़ार हो गया है
अब कहां कोई ग़ज़ल लिखता है।
हर शायर लिखने का कारोबार करता है।।1।।
जो बिक जाए ज्यादा से ज्यादा।
हर कोई बाजार ए मुताबिक लिखता है।।2।।
अहसासों को गंदा कर दिया है।
अब कहां कोई मंजनू लैला पर मरता है।।3।।
अल्फाजों का बाज़ार हो गया है।
इनसे हर इंसान अब सियासत करता है।।4।।
अल्फाजों का घाव गहरा होता है।
आदमी इसके वार से जीता ना मरता है।।5।।
करके शैतानी मासूम बन जाते है।
जब झूठे अल्फाजों का सहारा मिलता है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ
Wednesday, 15 March 2023
MM Raza #03
सफलता में सराबोर ये धरा लिख दूं
सफलता के सितारे से सजा ये सारा आसमान लिख दू।
लिख दूं मदमयी ये पूरी महफिल,
या छलकते जाम से
गीली ये शर्द- शाम लिख दूं।
ये शुक्र है लिखने की हद याद है मुझे
जो भूल जाऊं तो
तेरे नाम अपनी ये जिंदगी
तमाम लिख दूं।
Tuesday, 14 March 2023
My Father
MY FATHER
A great teacher, A great mentor,
Best faculty member, great instructor
Best Coach, Great Assistant
He is a Educator with a great Scholar
And a good human being
Yes He is MY FATHER
My Father is like a Great University
As there is no comparison with Diversity
He is the one Who Burns
And gives light to everyones
Convert itself as a ash
As also be used, ash as like as colour
Discipline should be the main priority
My Father in family As like us in university
Discipline might be of work or worship,
Education or Entertainment gives best facility
He taught, "How to Live,
With peace & posture
With enthusiasm & aversion
With beautiness & inelegance
With energetic & dull" .
Punctuality with time
Your work should be proper
Respect your deed
Deeds will fulfill your need
Don't cry when your situation are bad
Its a test taken by everyone's Master
Some of the theories of my Dad
He is the one Who respects
Thoughts, speculation, logics
Anticipation, understanding & Reflection
With his patience, of everyone
I learned from my Father
Where to speak & to animate
To influence the mates
Honesty should always be antecedent
And remote from deceit
Increasing quirk of Helping Nature
To show the obedience regards the mentor
My Father is my motivator
Mohd Mimshad
Monday, 13 March 2023
Bhagvad Gita
Falling in love is a beautiful thing.
But the problem is you get attached and become possessive about everything you love.
If you realize with time everything changes, you will appreciate the people in your life and understand when they are not in your life anymore.
Detachment makes you free but attachment makes you suffer.
The root cause of the suffering in this world is attachment
Collection #01
1) चाकू..... खंजर.........तीर और तलवार......
लड़ रहे थे
कि......koun कितना ज्यादा घाव दे सकता है
और शब्द पीछे बैठे.....मुस्कुरा रहे थे
2) कहते हैं कि हो जाता है संगत का असर
पर कांटों को आज तक नहीं आया
महकने का सलीका
(गुलजार)
3) सोचता था
दर्द की दौलत से
एक मैं ही मालामाल हूँ
देखा जो गौर से
तो हर कोई रईस निकला
(गुलजार)
4) Waqt bura tha
Aap to achche rahte
(Ghalib)
पता चला है कि Ramdan आने वाला है
Ab मस्जिदों का daira zara बड़ा kar lo
बस एक माह का musalman आने वाला है
(Iqbal)
6) मैं जो दिखता हूँ वह नहीं हूँ
मैं हूँ आदमजात मगर इंसान नहीं हूँ
मैं फैला हूँ चार सू gard o गुबार sa
जो है जगह meri वहाँ मैं नहीं हूँ
(Ghalib)
7) ठुकराया है मैंने भी बहुतों को
तेरे फासले का कारण शायद उनकी बद्दुआ है
Jaun Eliya Poetry: इक हुनर है जो कर गया हूँ मैं, सब के दिल से उतर गया हूँ मैं
इक हुनर है जो कर गया हूँ मैं
सब के दिल से उतर गया हूँ मैं
कैसे अपनी हँसी को ज़ब्त करूँ
सुन रहा हूँ कि घर गया हूँ मैं
क्या बताऊँ कि मर नहीं पाता
जीते-जी जब से मर गया हूँ मैं
अब है बस अपना सामना दर-पेश
हर किसी से गुज़र गया हूँ मैं
वही नाज़-ओ-अदा वही ग़म्ज़े
सर-ब-सर आप पर गया हूँ मैं
अजब इल्ज़ाम हूँ ज़माने का
कि यहाँ सब के सर गया हूँ मैं
कभी ख़ुद तक पहुँच नहीं पाया
जब कि वाँ उम्र भर गया हूँ मैं
तुम से जानाँ मिला हूँ जिस दिन से
बे-तरह ख़ुद से डर गया हूँ मैं
कू-ए-जानाँ में सोग बरपा है
कि अचानक सुधर गया हूँ मैं
'इंतिज़ार' करते शायरों के अल्फ़ाज़
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख
- अल्लामा इक़बाल
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
- मिर्ज़ा ग़ालिब
ये कैसा नश्शा है मैं किस अजब ख़ुमार में हूँ
तू आ के जा भी चुका है मैं इंतिज़ार में हूँ
- मुनीर नियाज़ी
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
- गुलज़ार
न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद
मगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था
- फ़िराक़ गोरखपुरी
जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना
वस्ल से इंतिज़ार अच्छा था
- जौन एलिया
तेरे आने की क्या उमीद मगर
कैसे कह दूँ कि इंतिज़ार नहीं
- फ़िराक़ गोरखपुरी
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी
इंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे
- परवीन शाकिर
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया
- गुलज़ार
वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा
तो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं
- फ़रहत एहसास
बस एक शाम का हर शाम इंतिज़ार रहा
मगर वो शाम किसी शाम भी नहीं आई
- अजमल सिराज
कहीं वो आ के मिटा दें न इंतिज़ार का लुत्फ़
कहीं क़ुबूल न हो जाए इल्तिजा मेरी
- हसरत जयपुरी
मुझे ऐसा ही रहने दो।
मैं जैसा भी हूं मुझे
मुझ जैसा ही रहने दो
मैं खुश हूं तो
मुझे वैसा ही रहने दो।
क्यों बदलने की मुझको तुम
करते हो कोशिशें तमाम
फूल हूं तो खुशबू लो
पत्थर हूं तो फेक दो
मैं अच्छा हूं या हूं बुरा
जैसा हूँ वैसा ही रहने दो।
तुम्हें क्यों फिक्र है मेरी
कि मैं अलग हूं थोड़ा
मत परवाह करो मेरी
मैं बेपरवाह ही उम्दा हूं
गर लगता है ये तुमको
कि मर जाऊंगा मैं एक दिन
तो खामोश ही अच्छा हूं
मुझे ऐसा ही रहने दो।
मोहम्मद मिमशाद
ज़िंदगी की हक़ीक़त बयां करते शेर
जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
- जौन एलिया
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
- निदा फ़ाज़ली
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं
- इमाम बख़्श नासिख़
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से
- साहिर लुधियानवी
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
- निदा फ़ाज़ली
ज़िंदगी शायद इसी का नाम है
दूरियाँ मजबूरियाँ तन्हाइयाँ
- कैफ़ भोपाली
ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को
अपने अंदाज़ से गँवाने का
- जौन एलिया
ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में
हर घड़ी दर्द के पैवंद लगे जाते हैं
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
हालत-ए-हाल के सबब हालत-ए-हाल ही गई
शौक़ में कुछ नहीं गया शौक़ की ज़िंदगी गई
- जौन एलिया
ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है
- बशीर बद्र
चलते रहो
नये युग की नई उड़ान में,
प्रकति की इस चिर पहचान में
नया है रथ नया है रास्ता,
चलने का सूरज को भी है वास्ता
रुकता नहीं चाँद भी जाड़े के सर्द दिनों में,
छोड़ते नहीं आशा चकवा अपने गमों में
इक आशा है जिंदगी,
इसी के सहारे चलती है ज़िंदगानी
क्योंकि सब जानते हैं दिन आएगा,
और होगी रात की रवानगी
चलते रहो चलते रहो
चलना ही ज़िंदगी है
और अब भी बैठे रहे तुम उदास
तो ये मानव जाति के लिए शर्मिंदगी है।
फ़िराक़ गोरखपुरी की ग़ज़ल
फ़िराक़ गोरखपुरी की ग़ज़ल- उस ज़ुल्फ़ की याद जब आने लगी
उस ज़ुल्फ़ की याद जब आने लगी
इक नागन-सी लहराने लगी
जब ज़िक्र तेरा महफ़िल में छिड़ा
क्यों आँख तेरी शरमाने लगी
क्या मौजे-सबा थी मेरी नज़र
क्यों ज़ुल्फ़ तेरी बल खाने लगी
महफ़िल में तेरी एक-एक अदा
कुछ साग़र-सी छलकाने लगी
या रब याँ चल गयी कैसी हवा
क्यों दिल की कली मुरझाने लगी
शामे-वादा कुछ रात गये
तारों को तेरी याद आने लगी
साज़ों ने आँखे झपकायीं
नग़्मों को मेरे नींद आने लगी
जब राहे-ज़िन्दगी काट चुके
हर मंज़िल की याद आने लगी
क्या उन जु़ल्फ़ों को देख लिया
क्यों मौजे-सबा थर्राने लगी
तारे टूटे या आँख कोई
अश्कों से गुहर बरसाने लगी
तहज़ीब उड़ी है धुआँ बन कर
सदियों की सई ठिकाने लगी
कूचा-कूचा रफ़्ता-रफ़्ता
वो चाल क़यामत ढाने लगी
क्या बात हुई ये आँख तेरी
क्यों लाखों क़समें खाने लगी
अब मेरी निगाहे-शौक़ तेरे
रुख़सारों के फूल खिलाने लगी
फिर रात गये बज़्मे-अंजुम
रूदाद तेरी दोहराने लगी
फिर याद तेरी हर सीने के
गुलज़ारों को महकाने लगी
बेगोरो-क़फ़न जंगल में ये लाश
दीवाने की ख़ाक उड़ाने लगी
वो सुब्ह की देवी ज़ेरे-शफ़क़
घूँघट-सी ज़रा सरकाने लगी
उस वक्त 'फ़िराक' हुई ये ग़ज़ल
जब तारों को नींद आने लगी
परवीन शाकिर की ग़ज़ल 'मुझ में कोई शख़्स मर गया है'
परवीन शाकिर की ग़ज़ल 'मुझ में कोई शख़्स मर गया है'
रुकने का समय गुज़र गया है
जाना तिरा अब ठहर गया है
रुख़्सत की घड़ी खड़ी है सर पर
दिल कोई दो-नीम कर गया है
मातम की फ़ज़ा है शहर-ए-दिल में
मुझ में कोई शख़्स मर गया है
बुझने को है फिर से चश्म-ए-नर्गिस
फिर ख़्वाब-ए-सबा बिखर गया है
बस एक निगाह की थी उस ने
सारा चेहरा निखर गया है
Sunday, 12 March 2023
हिम्मत
हिम्मत
माना कि राह में कांटे है कई
पर ये हिम्मत ही तो है जो बांधती है उम्मीद नई
जब जब बाधाओं ने रास्ता रोका
हिम्मत से मैंने खुद को लक्ष्य प्राप्ति में झोंका
जानता हूं लक्ष्य पाना है कठिन
पर हिम्मत हो साथ तो कुछ नहीं जटिल
जहां भी जीता जा सकता है, जान लो
बस रखो हिम्मत और मन में ठान लो
लक्ष्य की राह में जब मुसीबत दिखती
मेरी हिम्मत के आगे वो ना टिकती
विश्वास है पूरा होगा हर सपना
क्योंकि हिम्मत में थामा हाथ अपना
जब असफलता करे परेशान
हिम्मत ही है जो बनाए जीवन आसान
Mohd Mimshad
Saturday, 11 March 2023
My Inspiration
Completely Dedicated To My Inspiration My Motivation My Father
और लोग मुझपे ही वार पे वार करते रहे।
हम जिन्हें अपना मानकर सबकुछ लुटाते रहे...
वे मुझसे ही बैमानियत की सारी हदें पार करते रहे।
गम नहीं जो कुछ ना मिला मुझे सिला के वास्ते ..
गम तो बस इतना सा ही है कि
वे बेवक्त राहें अपनी बदलते रहे।
साहिलों पे अक्सर डूब जाती हैं कश्ती प्यार की ...
और साहिलों को हम अपना मुकद्दर समझते रहे।
खुश हैं लोग आज कल मुझे दुःख देकर ...
और हम मुस्कुराते रहे उनकी ये अदा देखकर ।
लोग अक्सर भूल जाते हैं कि मैं
वही हूं जो कांटों की चुभन में भी
खुशियों की बरसात ढूंढ लेता है...
और दर्द क्या तड़पाएगा मुझे
मैं तो सारे दर्दों को भी हर लेता हूं।
छोड़ दो फ़िक्र मेरी छोड़ दो अब ज़िक्र मेरी...
मुझे जिंदगी से लड़ना बखूबी आता है...
है ये पल कितना भी बुरा तो क्या
हर वक्त गुज़र जाता है।
हम मुश्किलों को नथ कर उसपर सवार होते हैं...
फ़िक्र वो करें जो मुफ़्त की रोटी
खातें हैं और एसी कमरों में सोते हैं।
कर ले लाख बुराई ये ज़माना
है अपना सच्चाइयों से याराना
है कुछ ऐसा अपना घराना कि
हम आगे ही आगे बढ़ते रहे
और लोग उझर देखकर....
डाह द्वेष की जलन में तड़पते रहे
मुझपे वार पे वार करते रहे
फिर भी बन के मरहम हम सबके
ज़ख्मों को भरते रहे..
बनके मरहम हम सबके ज़ख्मों को
भरते रहे।
Thursday, 9 March 2023
About The Great Indian THAR Desert
मैं वो सहारा जिसे पानी की हवस ले डूबी
तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं
- सुल्तान अख़्तर
हैरत से तकता है सहरा बारिश के नज़राने को
कितनी दूर से आई है ये रेत से हाथ मिलाने को
- उस्मानी
हमें रंजिश नहीं दरिया से कोई
सलामत गर रहे सहारा हमारा
- सिराज फ़ैसल ख़ान
राब्ता क्यूँ रखूँ मैं दरिया से
प्यास बुझती है मेरी सहारा से
- ज़फ़र इक़बाल ज़फ़र
मैं था जब कारवाँ के साथ तो गुलज़ार थी दुनिया
मगर तन्हा हुआ तो हर तरफ़ सहारा ही सहरा था
- मनीश शुक्ला
मेरे माथे पे उभर आते थे वहशत के नुक़ूश
मेरी मिट्टी किसी सहारा से उठाई गई थी
- क़मर अब्बास क़मर
बाग़ में लगता नहीं सहारा से घबराता है दिल
अब कहाँ ले जा के बैठें ऐसे दीवाने को हम
- नज़ीर अकबराबादी
हर कोई दिल की हथेली पे है सहारा रक्खे
किस को सैराब करे वो किसे प्यासा रक्खे
- अहमद फ़राज़
भड़काएँ मिरी प्यास को अक्सर तिरी आँखें
सहारा मिरा चेहरा है समुंदर तिरी आँखें
- मोहसिन नक़वी
है अजब फ़ैसले का सहारा भी
चल न पड़िए तो पाँव जलते हैं
- जौन एलिया
Wednesday, 8 March 2023
Parizaad
वो सच ही तो कहता था
कि हमेशा देर की मैंने
कुछ जरूरी बात कहने में
कोई वादा निभाने में
तुम्हें आवाज देने में
तुम्हें वापस बुलाने में
हाँ मैं जानता हूँ
हमेशा देर की मैंने
वो सच ही कहा था
तुम्हें मिलने से पहले
और तुम्हें बुलाने तक
आख़िर क्यों..........?
इतनी देर की मैंने
Happy International Women’s Day
जिन्होंने अपने कोख में सन्तान पाली है
अफसोस उनके नाम से शुरू होती तुम्हारी हर गाली है
माँ बहन के गाली के बिना
कहाँ अपना क्रोध कह पाते हो तुम
बोली तुम्हारी होती है
हर माँ हर बहन को दर्द दे जाते हो तुम
अगर वाणी को अपने
शुद्ध कर पाओगे तुम
तो यकीन मानो इसी जन्म में
बुद्ध बन जाओगे तुम
आर जे कार्तिक
Tuesday, 7 March 2023
राहत इंदौरी की ग़ज़ल
राहत इंदौरी की ग़ज़ल- मोहब्बतों के सफ़र पर निकल के देखूँगा
ये पुल-सिरात अगर है तो चल के देखूँगा
सवाल ये है कि रफ़्तार किस की कितनी है
मैं आफ़्ताब से आगे निकल के देखूँगा
मज़ाक़ अच्छा रहेगा ये चाँद-तारों से
मैं आज शाम से पहले ही ढल के देखूँगा
वो मेरे हुक्म को फ़रियाद जान लेता है
अगर ये सच है तो लहजा बदल के देखूँगा
उजाले बाँटने वालों पे क्या गुज़रती है
किसी चराग़ की मानिंद जल के देखूँगा
अजब नहीं कि वही रौशनी मुझ मिल जाए
मैं अपने घर से किसी दिन निकल के देखूँगा
राहत इंदौरी
Monday, 6 March 2023
# KamZarf Zamana
# KamZarf Zamana
Tu bula le mujhe
Yahan bahut rahagir khade hain
Mere zanaze k liye
Khuda ki ya jesus ki
Bhagwan ki ya guru ki
Kasam kis kis ki lu
Kabhi toot k chaha tha kisi ko
Aaj sirf nafrat hai mujhe usse
Iss baat ki kya garanti hai
Ki tere khayalo me jo humesha rahta hai jo
Wo sirf tujhe hi chahe
U hi nahi karta Mai
Khud ki parwah
Ye kamzarf jamana
Badi bewafa hoti hai
Mohd Mimshad
KHUDGARZ
KHUDGARZ
Khud ko shabit karna
Kabhi duniya k samne
To kabhi apno k samne
Ya phir kabhi Khud k samne
Maine parinde ko dekha hai
Khud ko shabit karte hue
U hi khud ko
nirash mat kar tu
Ae bande
Bahe failay hue
Tera bhi intezar
Ye kamyabi kar rahi hai
Gar Hota kamyab hona
Itna aasan
To kya koi fark hota
Kaise banti
Ye jamin o aashman
Kaise banta Ye do jahan
U haar kar mat baith
Ae bande
Dusro ka to samay aata hai
Tere zamana aayega
Ye phool kante jaher jaam
Sab taiyaar hai
Tu bata to sahi
Taiyyari teri kaisi hai
Harna tere khoon me nahi
Gar hota to
Tu yahan hota nahi
Q haar maan raha hai
Arrr Ye bedard duniya hai
Kabhi kisi k sath nahi
Q manane ki koshish kar raha hai
Sab ko khush rakhne ki
Ye kisi ki aukat nahi
Maine khub dekha usko palate hue
Jispe tu bharosa kabhi kiya karta tha
Ja dekh
Jise tu apna kahta hai
Wo apna to khud bhi nahi
Mat kar U hi apne umar ko kharch
Jo tera nahi
Uska tu nahi
Thori himmat rakh, apni baat rakh
Koi na sune, to unchi apni awaz rakh
Ye khudgarzo ki duniya hai
Sab ko apni padi hai
Tera koi nahi rakhega
Tu khud apna khyal rakh
Mohd Mimshad
Sunday, 5 March 2023
MM Raza #01
###
1) मुझ से mohabbat पर, mashwarah मांगते हैं लोग, तेरा इश्क यू तजुर्बा दे गया मुझे
2) Hum karte hain pooja uski aaj bhi
Log hume diwana kahte hain
Yu hi nahi marte uske husn par
Suna hai aaj kal Log use chand ka tukda kahte hain
3) लोग कहते हैं कि तुझे सर पर चढ़ा रखा है
ताज 👑 पैरों पर नहीं रखते
ज़रा बताओ इन्हें
4) कई साल mohabbat करने के बाद
ये ख्याल आया
घर वाले बहुत सख्त हैं
नहीं मानेंगे
5) न जाने कितनी अनकही बाते साथ ले जाएंगे
लोग झूठ ही कहते हैं
खाली हाथ ही आए थे
खाली हाथ ही जायेंगे
6) Aik waqt tha
Jab टूट कर chaha tha तुझे
अब khuda भी बन जाए
तो सजदा na karu
7) सुनो गीला बेरुखी का करेंगे
तुम से फुर्सत में कभी
पर अर्जी ये भी है खुदा से
कि कभी waqt न मिले
8) हम अपने आप में गुम थे
लेकिन हैरत की बात है
कि वहाँ भी तुम थे
9) माँ चूप karao na phir se
तेरा लाडला ab ander से बहुत rota है
10) Ae जिंदगी tune तो रुला कर रख दिया
जाकर पूछ meri माँ से
कितना लाडला tha मैं
11) farz e दोस्ती na rakh Ae Farhad
दुश्मनों से भी खतरनाक होती है
Waqt बदल जाने पर
12) shouk tha मुझे भी ज़माना घूमने का
लेकिन अब अपना घर अच्छा लगता है
Saturday, 4 March 2023
Why there is always a "Common Man" ? Why not a "Common Woman" ?
There is always a common man instead of common woman because a woman can never be common, always special.
A special one can do everything thing far better than a common.
There is no comparison between a man & woman.
Women are always special, if she is a mother, she is a sister, she is a wife or even she is a friend.
A woman can do anything beyond the thought process of a man.
A woman can give birth by conducting a enormous pain i.e equals to the pain of almost large number of fracture.
A woman gives support to her husband by leaving behind her great hero i.e her father, her brother.
They are the main conduits of a family.
They can replace a man very easily as compared to a man every field.
There is always a woman behind a successful man in the form of mother, sister, wife, or even a friend.
To save a woman the great war known as Mahabharat has taken place.
To protect a woman the great golden Lanka has burnt off.
Women can never be common.
They are always special as if she is Sita, Draupadi, Yasoda, or Parvati.
They are source of success, defeat, or even destruction.
They can form or can destroy as well.
They can be Kalpana Chawla to hoist a Flag in the moon, can be Mary Kom to win Olympics, can be Kiran Bedi to become an IPS officer, or can be Sarojini Naidu to become First Governer of India.
History can never forgot their contribution, their sacrifice, their dedication or their attention towards family, society, or nation.
According to Indian Literature women are known as "JAGAT JANNI" that she give birth to new life, new potential, new ideas, new inspiration, or even new commander.
So according to me What woman means .....
i.e W - Wonderful Mother
O - Outstanding Friend
M - Marvelous Daughter
A - Adorable Sister
N - Nicest Gift to Man from God
But then also ......
Why women are treated so badly in our appreciated society ?
Why they are..............
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बला से Zakhm e dil hue नासूर बन जाए मगर kamzarf k हाथों से हम marham nahi लेंगे जिन्हें tu dost कहता है उन्हीं से तुझको बचना है ये बदलेंग...