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Saturday, 16 September 2023

बाबा की ज़िंदगी

तुझसे सवाल मेरा एक है 
ऐ जिंदगी मुझको तू बता 
क्या कोई और भी है दूजा 
जो बराबरी कर सके एक पिता का 

आओ कुछ अनकही कहानी सुनाऊं मैं 
बाबा की दिल का कुछ हाल बताऊ मैं 
कोई किस्सा नहीें जिसमें हो कोई राजा या रानी 
ये जज्बातों की एक अलग मिसाल बताऊ मैं

कुर्बानी उनकी क्या बताऊँ मैं !!
पूरे दिन की क्या दस्ता सुनाऊं मैं  !!
कभी ज़िल्लत को हंस के सर आंखों पर सजाया 
कहीं खुद को ही अपने नजरो में गिराया 

पानी नहीं पसीने से नहाते थे वो 
जुबा से मिठास फैलाते थे वो 
ज़िंदगी की हर परेशानियों को हंस कर हल करते थे 
हमे भी सिखाते थे, बहुत मशक्कत करते थे 

बाबा तेरी जगह कोई नहीं ले सकता 
मेरी क्या औकात मैं तुझे कभी पूरा नहीं कर सकता 
तू हमेशा जो कहता था दुनिया बड़ी बुरी है 
तेरी हर एक कौल को पत्थर की लकीर पाई है 

बाबा ही तो है जो हमें कामयाब देखना चाहता है 
बाकी सब तो बस नजरो से गिराना चाहता है 
एक पेड़ बनकर अपने परिवार को तूफ़ानों से बचाते हैं 
उसके गिरने पर जानवर तक खाने को आ जाते हैं 

मेरी ये भी मज़ाल नहीें तेरी तारीफ़ करूं
कैसे भुलाउ तुझको मैं हर पल याद करूं
बाबा तू एक अनकही सच्चाई है 
दुनिया तो बस खूबसूरत सी झूठी कहानी है 

ज़माना कर न सका तेरे कद अंदाजा 
तू तो आसमान था फिर भी सर झुका कर चलता था 
बाबा की हकीकत इतनी आसान नहीं की बयां हो जाए 
दुआ है तेरे जाने के बाद भी तेरा नाम सलामत रहे 

Mohd Mimshad





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