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Saturday, 22 April 2023

मैं तुम्हारे खुशियो का muntazir nahi
mujh me tabir nahi tere muhabbat ki
सकल, रंग, रूप मुझे किसी का ख्याल नहीं 
मैं मुश्ताक tha तेरे aamad की 
तूने सच्चाई बताई इस kadar मुझको 
मेरे हसद ने ही जान ले ली मुझ गरीब की 


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