इस बारे मे, उस बारे मे
जहां लोग रहते हैं
जहां दुनिया बस्ती है
हम किस रास्ते पर हैं
किस मुकाम को ढूंढ रहे हैं
बस अकेले हैं
अकेले चल रहे हैं
घर से निकला अकेले था
मुकाम तक पहुंचना भी अकेले है
सफर भी तन्हा है
फिर कहाँ दुनिया है !!
घर से निकले थे सपने की खातिर
पता नहीं चला घर ही सपना बन गया कब आखिर
बाते हम यों करते हैं कि हम कुछ कर जाएंगे
माँ बाप भाई बहन घर दुनिया ये सब कब सोचते हैं
आज, बन ही गए कुछ आखिर
घमंड सब को है इस बात का
लेकिन क्या ये सच है
कि बन गए हम सहारा अपने घर का ??
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