बड़ी हसरत से तकती है
महीनों अब मुलाकातें नहीं होती
जो शामे उनकी सोहबत पे कटा करती थी
अब वो अक़्सर
गुजर जाती है computer की पर्दों पर
गुलजार
मैंने एक कहानी उस दिन लिखा था जब शायद मैंने उनके आंसुओ के दरिया में अपना चेहरा देखा था उनकी आंसु एक अलग कहानी बता रही थी शायद कहीं वो मुझे...
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