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Friday, 12 May 2023

ऐ वक्त्त तू यही ठहर जा

ऐ ख़ुशनुमा सुबह, तेरा क्या ही कहना 
ठंडी ठंडी हवाएं, और उसकी ये धीमी रफ्तार 
चिडियों का यों चहचहाना 
ऐ waqt तू ठहर जा 

Fazr के azan की आवाज, 
Wo namaz ka waqt,
Ae khuda क्या वाकई तूने 
सारी कायनात हमारे लिए बनाई 
Khuda tera बहुत बहुत शुक्रिया 
Ae waqt तू यही ठहर जा 

सुनहरी किरणें बिखेरता हुआ ये सूरज 
अपने वज़ूद को छुपाता हुआ ये चांद 
चाँद को गुमान था अपने चांदनी पर 
अब सूरज इतरा रहा है अपने मौसीक़ी पर 
ऐ सुबह ये कैसा संगम है 
चाँद तो जा रहा है, ए सूरज तू रूक जा 
ऐ waqt तू यही ठहर जा

न जाने लोग क्यों सोये हुए हैं 
किस ख़्वाब में खोए हुए हैं 
न सूरज ठहरेगा, न चांद रूक रहा है 
फिर ऐ बन्दे तू किस के इन्तेज़ार में रो रहा है 
कल का दिन गया, रात भी बीत गई 
ऐ सुबह तू यही ठहर जा

परिन्दे खाने की तलाश में निकल रही हैं 
दो दानो की भूख उसे उन्हें सता रही है 
सच है रोज़ी देने वाला khuda है 
बगैर कोशिश के फिर क्यों मर रहा है 
मेहनत कर, किस्मत बना, और बोल मेहनत से 
ऐ मेहनत तू यही ठहर जा

दिन का उजाला अब बढ़ने लगा है 
चाँद की चांदनी भी अब जाने लगी है 
दोनों अपने waqt का बादशाह है 
कोई किसी से कम नहीं 
अपने अपने waqt पर दोनों का फलसफा है 
ये चांद अभी तो जा रहा है 
रात में फिर लौटेगा 
तू मेहनत करता रह 
ये waqt है जरूर बदलेगा 
अपने कामयाबी का जश्न कुछ यूं मनाएगा 
फिर तु भी कहेगा 
ऐ waqt तू यही ठहर जा


Mohd Mimshad





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