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Thursday, 27 April 2023

क्या लिखू मैं तेरे तारीफ़ के दायरे में 
तेरे दोस्ती के दायरे की कोई हद नहीं 

रहता था अपने गुमान में, 
खुद को हमसाया समझता था 
मेरे बदसलूकी ने 
आज मुझे गुनाहगार बना दिया 

यक़ीन न था कभी उनसे बाते भी होंगी 
खुद के बेइज्जती को नजरअंदाज कर 
तुमने मुझे कर्जदार बना दिया 

मेरा ग़ुरूर इस कदर हावी था मुझ पर 
गर सारी खुदाई भी मिल जाती 
तो सलाम तक ना करता तुझे 

लेकिन हाय ! तेरा ये सादापन ...
खुद के सादगी में समेटकर 
तुने मुझे रंगदार बना दिया 

दुआ है खुदा से हमारी दोस्ती सलामत रहे 
हाथ बढ़ा कर दोस्ती का 
ऐ दोस्त ! तुमने मुझे मालदार कर दिया 

        Mohd Mimshad

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