गुलाब की पंखुरी के तरह,
मासूमियत के खुशबु तेरे,
ऐ बचपन तू बता क्या हाल है तेरा ??
माँ की आंखों के तारे
तो कभी बाप का लाडला था
कभी नखरे उठाता
तो कभी सिर्फ तेरा ही बोलबाला था
ऐ बचपन तू बता क्या हाल है तेरा ??
नाना नानी के आंखो की ठंडक तो
मामा खाला के दिल का सुकून था
स्कूल जाते wakt एक डर तो
घर आते wakt एक अलग sa मुस्कान था
ऐ बचपन तू बता ना क्या हाल है तेरा ??
तेरे भी क्या अरमान थे
खुद को पीछे छोर
ज़िम्मेदार बनने के होर थे
सुना है अब तो तेरे ख्वाब पूरे हुए
अब तू भी जिम्मेदारी उठाता है
ऐ बचपन अब बता क्या हाल है तेरा ??
गली के वो गुल्ली डंडे का खेल
अब इस ज़माने में जज्बातों के खेल को देख
तू भी अब सोचता होगा
कहां शराफत की जिंदगी जीने लगा
ऐ बचपन फिर भी कुछ तो बता क्या हाल है तेरा ??
Mohd Mimshad
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