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Monday, 3 July 2023

बाबा की नई उम्मीद

एक ख्वाहिशमंद बाप                   
दिल मे कुछ उम्मीद लिए 
आंखों में एक सपना लिए 
दिल में एक अरमान सजाता हैं 
अपने बच्चों स्कूल तक छोड़कर आता है 

स्कूल का बस्ता खरीदते वक्त 
खुद के टूटे हुए सपनों को 
बच्चों के बस्ते में समेटता है 
फिर से उम्मीद की नई किरण के साथ 
अपने बच्चों स्कूल तक छोड़कर आता है

अपने सारे ख्वाहिशों से मन मारकर 
बच्चों के हर जिद्द को पूरा करता है 
हर परेशानियों को भुला कर 
एक नई सुबह एक नई उमंग के साथ 
अपने बच्चों स्कूल तक छोड़कर आता है

शाम में थक हारकर, दुनिया से लड़कर 
अपने हर मुश्ताक को खाक कर 
अपने बच्चों की मुस्कान के लिए 
रास्ते से मिठाई ले आता है
अपने बच्चों स्कूल तक छोड़कर आता है

Mohd Mimshad

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