आंखों में एक सपना लिए
दिल में एक अरमान सजाता हैं
अपने बच्चों स्कूल तक छोड़कर आता है
स्कूल का बस्ता खरीदते वक्त
खुद के टूटे हुए सपनों को
बच्चों के बस्ते में समेटता है
फिर से उम्मीद की नई किरण के साथ
अपने बच्चों स्कूल तक छोड़कर आता है
अपने सारे ख्वाहिशों से मन मारकर
बच्चों के हर जिद्द को पूरा करता है
हर परेशानियों को भुला कर
एक नई सुबह एक नई उमंग के साथ
अपने बच्चों स्कूल तक छोड़कर आता है
शाम में थक हारकर, दुनिया से लड़कर
अपने हर मुश्ताक को खाक कर
अपने बच्चों की मुस्कान के लिए
रास्ते से मिठाई ले आता है
अपने बच्चों स्कूल तक छोड़कर आता है
Mohd Mimshad
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