ईद अब के भी दबे पाँव गुज़र जाएगी
– ज़फ़र इक़बाल
महक उठी है फ़ज़ा पैरहन की ख़ुशबू से
चमन दिलों का खिलाने को ईद आई है
– मोहम्मद असदुल्लाह
है ईद मय-कदे को चलो देखता है कौन
शहद ओ शकर पे टूट पड़े रोज़ा-दार आज
– सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
बादबाँ नाज़ से लहरा के चली बाद-ए-मुराद
कारवाँ ईद मना क़ाफ़िला-सालार आया
– जोश मलीहाबादी
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