लेकिन मेरा ख्वाब मुझे इजाज़त नहीँ देता
Badshaho की भी क्या badshahat देखी
Birbal को अकबर बनते नहीं देखा
Phir भी कतरा e इश्क chalak जाता है
कुछ अल्फाजों के sakal में
Warna badshahat के अलावा कुछ नहीं देखा
2) तारीफों के dairey से निकलना चाहता हूँ
Khud ka aik नया wajood banana chahta hu
ये तारीफ, ये बड़ाई, ये नुमाइश
सब ने बड़ा रुशवा किया है मुझे
अपनी तारीफ़ be खौफ़ होकर
खुद kar saku
Ye तराना आसमान में लिखना चाहता हूँ
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