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Sunday, 9 July 2023

हम घर को फिर लौट आएँगे

कई रात गुज़ारे आंसुओ की दरिया में 
कई दिन कट गए झूठी मुस्कान में 
फिर भी एक उम्मीद की किरण थी 
एक दिन फिर साथ होंगे 
हम घर को फिर लौट आएँगे 

चार दीवारों की दुनिया मे 
यू सीमट गया था मैं 
कुछ करने की चाहत को लेकर 
घर से निकल गया था मैं 
एक दिन हम भी कुछ कर जाएंगे 
हम घर को फिर लौट आएँगे

अकेले तन्हाई के समंदर में 
कुछ सपने लिए गोता लगा चुका था मैं 
हाय रे ज़िंदगी ! तेरा भी क्या उसूल है 
एक गहरे भंवर में फंस गया था मैं 
हर भंवर को ज़रूर आएँगे 
हम घर को फिर लौट आएँगे

सपनों से ज्यादा तुम याद आते हो 
Abba तुम अपना प्यार कभी क्यों नहीं दिखाते हो 
Ammi तो खैर है मारती थी, 
mohabbat से खाना खिलाती थी 
एक दिन सपना तुम्हारा जरूर पूरा करेंगे
हम घर को फिर लौट आएँगे

Mohd Mimshad





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