Followers

Monday, 1 May 2023

ऐसे ही गुज़ार ली जिंदगी हमने,..
कभी उसकी "रजा" समझकर,..
तो कभी अपने गुनाहों की "सजा" समझकर...
भरोसे पर ही टिकी है..
"जिंदगी"....
वरना कौन कहता है..
"फिर मिलेंगे"..

No comments:

Post a Comment

नाउम्मीद

मैंने एक कहानी उस दिन लिखा था  जब शायद मैंने उनके आंसुओ के दरिया में अपना चेहरा देखा था उनकी आंसु एक अलग कहानी बता रही थी  शायद कहीं वो मुझे...