कभी उसकी "रजा" समझकर,..
तो कभी अपने गुनाहों की "सजा" समझकर...
भरोसे पर ही टिकी है..
"जिंदगी"....
वरना कौन कहता है..
"फिर मिलेंगे"..
मैंने एक कहानी उस दिन लिखा था जब शायद मैंने उनके आंसुओ के दरिया में अपना चेहरा देखा था उनकी आंसु एक अलग कहानी बता रही थी शायद कहीं वो मुझे...
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