क्या वजह बताये हम tanha रहने की ज़माने से
बड़ा समझाया dil को भूल जा उसे
जो छोड kar chala गया
मगर ziddi है ये दिल
Samajta ही नहीं समझाने से
आज कैसे उसे बेवफा का नाम हम देदे
खुद ही बगावत कर के पाया था जिसे ज़माने से
तुझे क्या गम है कि शराब में डूबा हुआ है तू
इस तरह हजारो सवाल उठते हैं
शाम को मैखाने में
Dost पूछते हैं कौन है वो
जिसने तुझे इस तरह बर्बाद कर दिया
कैसे उनका नाम लेकर
उनको बदनाम करे हम
जिसे इतनी इज्जत से बसाया था
दिल के घराने में
आज महफ़िल में भी tanhai जिनका साथ नहीं chodti
एक waqt tha जब मेरा भी कोई ज़वाब nahi tha
हंसने में हसाने में
तुझे तो कभी कसूरवार समजा hi nahi Maine
गुनाह मेरा ही था जो farq na kar पाया
अपनों में और begano में
और जब wafa की है मैंने
उसका एहसास भी उन्हें जरूर होगा
तब tadpenge हमें पाने के लिए फिर से
मगर हमारा ठिकाना उनसे बहुत दूर होगा
बाते करेंगी हमारी तस्वीर से, कि तुम कहां चले गए
हम khuda k पास चले जाएंगे
तब लाख उसके रोने पर भी
लौट के na आयेंगे
तब उन्हें हमारी आंसुओ की कीमत का अंदाजा होगा
वो ro रही होंगी
जब उसकी गली से गुज़र रहा हमारा janaza होगा
रातों जाग कर हम उसे कैसे पाने की दुआए करते थे
हमारे जाने के बाद उसे मालूम होगा कि हम उन pe कितना मरते थे
Khuda k दर पर वो हमारी तरह फ़रियाद करेगी
आज nahi तो कल मुझ गरीब को ज़रूर याद करेगी
Feroz Shaikh
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