मगर kamzarf k हाथों से हम marham nahi लेंगे
जिन्हें tu dost कहता है उन्हीं से तुझको बचना है
ये बदलेंगे तो badla दुश्मनों से कम नहीं लेंगे
शीशा टूटे गुल मच जाए
दिल टूटे आवाज na आए
Sanp dase तो dost बचाए
Dost dase तो koun बचाए
Anish Sabri
मैंने एक कहानी उस दिन लिखा था जब शायद मैंने उनके आंसुओ के दरिया में अपना चेहरा देखा था उनकी आंसु एक अलग कहानी बता रही थी शायद कहीं वो मुझे...
No comments:
Post a Comment