1) चाकू..... खंजर.........तीर और तलवार......
लड़ रहे थे
कि......koun कितना ज्यादा घाव दे सकता है
और शब्द पीछे बैठे.....मुस्कुरा रहे थे
2) कहते हैं कि हो जाता है संगत का असर
पर कांटों को आज तक नहीं आया
महकने का सलीका
(गुलजार)
3) सोचता था
दर्द की दौलत से
एक मैं ही मालामाल हूँ
देखा जो गौर से
तो हर कोई रईस निकला
(गुलजार)
4) Waqt bura tha
Aap to achche rahte
(Ghalib)
पता चला है कि Ramdan आने वाला है
Ab मस्जिदों का daira zara बड़ा kar lo
बस एक माह का musalman आने वाला है
(Iqbal)
6) मैं जो दिखता हूँ वह नहीं हूँ
मैं हूँ आदमजात मगर इंसान नहीं हूँ
मैं फैला हूँ चार सू gard o गुबार sa
जो है जगह meri वहाँ मैं नहीं हूँ
(Ghalib)
7) ठुकराया है मैंने भी बहुतों को
तेरे फासले का कारण शायद उनकी बद्दुआ है
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