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Saturday, 11 March 2023

My Inspiration

Completely Dedicated To My Inspiration My Motivation My Father 


बन के मरहम हम सबके ज़ख्मों को भरते रहे...
और लोग मुझपे ही वार पे वार करते रहे।
हम जिन्हें अपना मानकर सबकुछ लुटाते रहे...
वे मुझसे ही बैमानियत की सारी हदें पार करते रहे।
गम नहीं जो कुछ ना मिला मुझे सिला के वास्ते ..
गम तो बस इतना सा ही है कि
वे बेवक्त राहें अपनी बदलते रहे।
साहिलों पे अक्सर डूब जाती हैं कश्ती प्यार की ...
और साहिलों को हम अपना मुकद्दर समझते रहे।
खुश हैं लोग आज कल मुझे दुःख देकर ...
और हम मुस्कुराते रहे उनकी ये अदा देखकर ।
लोग अक्सर भूल जाते हैं कि मैं
वही हूं जो कांटों की चुभन में भी
खुशियों की बरसात ढूंढ लेता है...
और दर्द क्या तड़पाएगा मुझे
मैं तो सारे दर्दों को भी हर लेता हूं।
छोड़ दो फ़िक्र मेरी छोड़ दो अब ज़िक्र मेरी...
मुझे जिंदगी से लड़ना बखूबी आता है...
है ये पल कितना भी बुरा तो क्या
हर वक्त गुज़र जाता है।
हम मुश्किलों को नथ कर उसपर सवार होते हैं...
फ़िक्र वो करें जो मुफ़्त की रोटी
खातें हैं और एसी कमरों में सोते हैं।
कर ले लाख बुराई ये ज़माना
है अपना सच्चाइयों से याराना
है कुछ ऐसा अपना घराना कि
हम आगे ही आगे बढ़ते रहे
और लोग उझर देखकर....
डाह द्वेष की जलन में तड़पते रहे
मुझपे वार पे वार करते रहे
फिर भी बन के मरहम हम सबके
ज़ख्मों को भरते रहे..
बनके मरहम हम सबके ज़ख्मों को
भरते रहे।

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