मेरे बराबर कल भी न थे तुम
औकात तुम्हारी आज भी नहीं है
गर समझते हो खुद को शहंशाह तुम
यक़ीन मानो badshahat आज भी मेरे पास ही है
मैंने एक कहानी उस दिन लिखा था जब शायद मैंने उनके आंसुओ के दरिया में अपना चेहरा देखा था उनकी आंसु एक अलग कहानी बता रही थी शायद कहीं वो मुझे...
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