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Thursday, 30 March 2023

एक नया किताब लिखूँगा

जिंदगी पर एक किताब लिखूँगा 
उस में सारे हिसाब लिखूँगा 

प्यार को waqt गुजारी लिख कर 
चाहतों को azab लिखूँगा 
हुआ बर्बाद mohabbat मे कैसे 
कैसे बिखरे हैं मेरे ख्वाब लिखूँगा 

अक्ल मुझ में बहुत है 
खुद को शहंशाह समझता था 
समझ जो मुझ में आई 
तो खुद को अक्ल का बयाबां लिखूँगा 

कर तारीफ़ मेरी, मुझे ज़नाजे पर लिटाया 
मैं खुद से ग़ाफिल, यकीं कर बैठा उनपर 
उन समझदारों की एक अनसुनी कहानी लिखूँगा 

देखा ज़माने को बहुत, खुद की खुदी पर रोते हुए 
ना देख सका अभी तक, खुद के खुदी पर हंसते हुए 
दूसरों का आशियाना क्यों, खुद की ज़मानत लिखूँगा 

इश्क को दरमियाँ न lao, चिंखता हूँ बदन की usrat में 
Mohabbat ka ये नया तज़ुर्बा बताऊँगा 
इश्क कहते हैं किसे, एक नया किताब लिखूँगा 

तज़ुर्बा  ज़ाहिलियत का लिखूँगा 
In zahilo ka पैग़ाम लिखूँगा 

Ishq e nabina की बिनाई  लिखूँगा 
Aetmad e ishq ka अंजाम लिखूँगा 

Dastane रुसवाई जो tune mujhe sunai hai
रुसवाई kya hoti है इस पर एक नया किताब लिखूँगा 


         Mohd Mimshad 




1 comment:

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