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Thursday, 30 March 2023

एक नया किताब लिखूँगा

जिंदगी पर एक किताब लिखूँगा 
उस में सारे हिसाब लिखूँगा 

प्यार को waqt गुजारी लिख कर 
चाहतों को azab लिखूँगा 
हुआ बर्बाद mohabbat मे कैसे 
कैसे बिखरे हैं मेरे ख्वाब लिखूँगा 

अक्ल मुझ में बहुत है 
खुद को शहंशाह समझता था 
समझ जो मुझ में आई 
तो खुद को अक्ल का बयाबां लिखूँगा 

कर तारीफ़ मेरी, मुझे ज़नाजे पर लिटाया 
मैं खुद से ग़ाफिल, यकीं कर बैठा उनपर 
उन समझदारों की एक अनसुनी कहानी लिखूँगा 

देखा ज़माने को बहुत, खुद की खुदी पर रोते हुए 
ना देख सका अभी तक, खुद के खुदी पर हंसते हुए 
दूसरों का आशियाना क्यों, खुद की ज़मानत लिखूँगा 

इश्क को दरमियाँ न lao, चिंखता हूँ बदन की usrat में 
Mohabbat ka ये नया तज़ुर्बा बताऊँगा 
इश्क कहते हैं किसे, एक नया किताब लिखूँगा 

तज़ुर्बा  ज़ाहिलियत का लिखूँगा 
In zahilo ka पैग़ाम लिखूँगा 

Ishq e nabina की बिनाई  लिखूँगा 
Aetmad e ishq ka अंजाम लिखूँगा 

Dastane रुसवाई जो tune mujhe sunai hai
रुसवाई kya hoti है इस पर एक नया किताब लिखूँगा 


         Mohd Mimshad 




जिंदगी की राह

मेरी जिंदगी एक बन्द किताब है  
किताब मे एक मज़मून है 
मज़मून में एक शायर है 
शायर के हाथ मे कलम है 
कलम के स्याही में कुछ अधूरी कहानी है 
कहानी में कुछ मजबूरियां हैं 
मजबूरी में आशिकी है 
आशिक के कुछ सपने हैं 
सपने में एक शहजादी है 
शहजादी के आंगन में एक बाग है 
बाग में बागबां है 
बागबां से शहजादी को mohabbat है 
Mohabbat में दोनों मशगूल हैं 
इधर शायर भी इश्क़ में है 
शायर के इश्क़ से बेख़बर शहजादी है 
शहजादी k बालों में कुछ हरारत है 
हरारत में शायर है 
शायर ख्वाब में है 
अब ख्वाब टूट चुके हैं 
अब एक नया मज़मून है 
मज़मून किताब मे है 
और किताब बन्द है 
मेरी जिंदगी एक बन्द किताब है  


            Mohd Mimshad


MM Raza #06

# Namaz me बैठी dua 🤲 मांग रही थी 
   Wo ladki na jane kya माँग rahi थी 
   लाल thi आंखे, चहरे पर zidd tha
   Zulekha thi koi, sayad Yusuf मांग रही थी 

# परवाह करने वाले अक़्सर छोर जाते हैं 
   अपना कर के...........पराया कर जाते हैं 
   Wafa jitni भी करो कोई फर्क़ nahi padta 
   मुझे मत छोडना कह कर खुद ही छोर जाते हैं 

# मेरे बाद नही आएगा उसे चाहत का ऐसा maza
    Wo खुद औरों से कहती फिरेगी मुझे चाहो कोई उसकी तरह 

# टूटा हो दिल तो दुख होता है 
  कर के mohabbat किसी से ये दिल रोता है 
  दर्द का एहसास तो तब होता है 
  जब किसी से mohabbat हो 
  और उसके दिल मे कोई और होता है 


Monday, 27 March 2023

तेरी बेवफ़ाई जीत गई

वो शाम बीत गई वो रात बीत गई
तुम्हारे साथ आख़री मुलाक़ात बीत गई
हम भी खड़े थे मुहब्बत की अदालत में
मेरी वफ़ा हार गई, तेरी बेवफ़ाई जीत गई

हमारी वफ़ा का ईनाम कुछ यू तो न देते
जो इल्ज़ाम लगाए तुमने हम पर वो हमसे ही कह देते
इल्ज़ामों वाली वो अदालत बीत गई
फ़ैसला तो आया लेकिन दिल नही माना की
मेरी वफ़ा हार गई, तेरी बेवफ़ाई जीत गई

Tuesday, 21 March 2023

छात्र कविता नहीं अपना यथार्थ लिखता है

छात्र कविता नहीं अपना यथार्थ लिखता है
अपने सपनों के खातिर वो अपनो को पीछे छोड़ आता है
नए शहर के छोटे से कमरे को वो आशियाना बनाता है
घर पर आलीशान बिस्तर पर हमेशा सोने वाला
अब नए शहर में कठोर ज़मीन पर करवटें बदलता है
छात्र कविता नहीं अपना यथार्थ लिखता है

घर के स्वादिष्ट खाने में हमेशा नुक्स निकालने वाला
आज सिर्फ कच्चे चावल-रोटी खा कर सो जाता है
दस बजे उठने वाला अब चिड़ियों से भी पहले जाग जाता है
सुबह उठकर हर रोज अनेक समस्याओं से छात्र टकराता है
फिर भी सबसे मुस्कुराकर अपना दर्द छिपाता है
छात्र कविता नहीं अपना यथार्थ लिखता है।

हर रोज़ कलम उठाकर क्रांति करने का प्रण ये छात्र लेता है
पर पढ़ते-पढ़ते अपने भविष्य की चिंताओं में खो जाता है
कब तक घर से पैसे लेगा ये सोच वो विकल हो जाता है
एक नौकरी पाने के खातिर छात्र हर रोज जोर लगता है
छात्र कविता नहीं अपना यथार्थ लिखता है।



MM Raza #02

1)मिन्नतें क्यों कर रहा है 
    उसे वापस बुलाने के लिए 
    Gar मिन्नतों से वो वापस आ जाए 
    फिर ये इश्क कैसा 

2)गलती ye nahi ki मैंने इश्क किया 
    बस कामयाब होने से पहले कर लिया 

3)Sher o शायरी to bas dil बहलाने ka ज़रिया है 
    Warna lafz kagaz par उतारने से महबूब लौटा नहीं करते 

4) क्या बताऊँ apne bare me तुम्हें 
     Gar समझने ki कशिश hoti तुममें 
    तो दूर जाते ही क्यों, 
    बहकावे में किसी और के आते ही क्यों 

5) आज aa गया तो क्या खूब है 
     कल का क्या मालूम 
    मैं कहीं काफिर न बन जाऊँ 
     Gar तू sakl e khuda भी इख्तियार कर ले 

6) मजबूरियां बहुत है मेरी 
    परेशानियों का shailab aaya hai
    अपने ख्वाहिशें kadmo tale रौंद कर 
   Mai aik naya फलसफा लिखने chala hu

  
    

Saturday, 18 March 2023

MM RAZA #05

1) लिखने का shouk मुझे भी बहुत है 
    लेकिन मेरा ख्वाब मुझे इजाज़त नहीँ देता 
    Badshaho की भी क्या badshahat देखी 
    Birbal को अकबर बनते नहीं देखा 
    Phir भी कतरा e इश्क chalak जाता है 
    कुछ अल्फाजों के sakal में 
    Warna badshahat के अलावा कुछ नहीं देखा

2) तारीफों के dairey से निकलना चाहता हूँ 
    Khud ka aik नया wajood banana chahta hu
    ये तारीफ, ये बड़ाई, ये नुमाइश 
    सब ने बड़ा रुशवा किया है मुझे 
    अपनी तारीफ़ be खौफ़ होकर 
    खुद kar saku
     Ye तराना आसमान में लिखना चाहता हूँ

Friday, 17 March 2023

क्यों डर जाता हूँ मैं.........??

हम क्यूँ डर जाते हैं सही बात को कहने में         
हम सही हैं ये बताने में 
क्यूँ सहते रहते हैं दूसरों का ज़ुल्म 
आख़िर क्यूँ, हासिल की थी हमने ये ईल्म 
गलती क्या है हमारी 
सजा क्यूँ हो रही है हमें 
क्या तू ये नहीं जानता 
कि कितनी सच्चाई है तुझ में 
फिर क्यूँ डर जाते हैं हम खुद को बताने में 

जनता हूँ कि सच्चाई करवी होती है 
लेकिन ज़हर हमेशा मेरे हिस्से ही क्यों आता है 
क्या ज़ुल्म सहना, 
ज़ुल्म करने से बड़ा गुनाह नहीं 
फिर आखिर क्यों डर जाते हैं हम गुनाहों से बचने में 

ऐ खुदा तू बता क्या तेरी यही रज़ा है 
ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाना, 
क्यों एक सज़ा है 
समाज साथ देना क्यूँ नहीं चाहता 
ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ बुलंद करना क्यूँ नहीं चाहता 
ऐसे सवाल तो बहुत हैं 
फिर भी मैं क्यु डर जाता हूँ सवाल करने में 

मोहम्मद मिमशाद

                    


Thursday, 16 March 2023

MM Raza #04

हमने खुद को कुछ इस तरह बदल लिया 
कुछ उसको याद किया 
कुछ खुद को भूल गया 

सही कहूँ तो तेरे धोखे का गम नहीं मुझे 
शर्मिंदगी तो बस अपने भरोसे पर है मुझे 






मुनीर नियाज़ी की ग़ज़ल 'अपने घर को वापस जाओ रो रो कर समझाता है'

अपने घर को वापस जाओ रो रो कर समझाता है
जहाँ भी जाऊँ मेरा साया पीछे पीछे आता है

उस को भी तो जा कर देखो उस का हाल भी मुझ सा है
चुप चुप रह कर दुख सहने से तो इंसाँ मर जाता है

मुझ से मोहब्बत भी है उस को लेकिन ये दस्तूर है उस का
ग़ैर से मिलता है हँस हँस कर मुझ से ही शरमाता है

कितने यार हैं फिर भी 'मुनीर' इस आबादी में अकेला है
अपने ही ग़म के नश्शे से अपना जी बहलाता है

लावारिस सा पड़ा था, रस्ते पे,

लावारिस सा पड़ा था,रस्ते पे,
के......
लावारिस सा पड़ा था, रस्ते पे
उठा लिया उसने,
धड़कन, बंद होने को थी,
दिल से सटा लिया उसने,
के......
लावारिस सा पड़ा था रास्ते पे,
उठा लिया उसने
धड़कन बंद होने को थी
दिल से सटा लिया उसने,
और.....
इस सूरज को घमंड है,
कि मैं जी नहीं सकता इसके बिना,
अरे डूबना है तो डूब जा,
दिल में चिराग ज़ला लिया उसने।।

- नरेंद्र कुमार

अल्फाजों का बाज़ार हो गया है

अब कहां कोई ग़ज़ल लिखता है।
हर शायर लिखने का कारोबार करता है।।1।।

जो बिक जाए ज्यादा से ज्यादा।
हर कोई बाजार ए मुताबिक लिखता है।।2।।

अहसासों को गंदा कर दिया है।
अब कहां कोई मंजनू लैला पर मरता है।।3।।

अल्फाजों का बाज़ार हो गया है।
इनसे हर इंसान अब सियासत करता है।।4।।

अल्फाजों का घाव गहरा होता है।
आदमी इसके वार से जीता ना मरता है।।5।।

करके शैतानी मासूम बन जाते है।
जब झूठे अल्फाजों का सहारा मिलता है।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

Wednesday, 15 March 2023

MM Raza #03

सफलता में सराबोर ये धरा लिख दूं
सफलता के सितारे से सजा ये सारा आसमान लिख दू।
लिख दूं मदमयी ये पूरी महफिल,
या छलकते जाम से 
गीली ये शर्द- शाम लिख दूं।
ये शुक्र है लिखने की हद याद है मुझे 
जो भूल जाऊं तो
तेरे नाम अपनी ये जिंदगी 
तमाम लिख दूं।

Tuesday, 14 March 2023

My Father

MY FATHER

A great teacher, A great mentor,
Best faculty member, great instructor 
Best Coach, Great Assistant 
He is a Educator with a great Scholar
And a good human being 
Yes He is MY FATHER

My Father is like a Great University 
As there is no comparison with Diversity 
He is the one Who Burns 
And gives light to everyones 
Convert itself as a ash
As also be used, ash as like as colour 

Discipline should be the main priority 
My Father in family As like us in university 
Discipline might be of work or worship,
Education or Entertainment gives best facility 

He taught, "How to Live, 
With peace & posture
With enthusiasm & aversion
With beautiness & inelegance
With energetic & dull" .

Punctuality with time
Your work should be proper
Respect your deed
Deeds will fulfill your need
Don't cry when your situation are bad
Its a test taken by everyone's Master
Some of the theories of my Dad

He is the one Who respects 
Thoughts, speculation, logics
Anticipation, understanding & Reflection
With his patience, of everyone 

I learned from my Father 
Where to speak & to animate
To influence the mates
Honesty should always be antecedent 
And remote from deceit
Increasing quirk of Helping Nature
To show the obedience regards the mentor
My Father is my motivator 


  Mohd Mimshad



Monday, 13 March 2023

Bhagvad Gita

Falling in love is a beautiful thing. 
But the problem is you get attached and become possessive about everything you love.
If you realize with time everything changes, you will appreciate the people in your life and understand when they are not in your life anymore.
Detachment makes you free but attachment makes you suffer.

The root cause of the suffering in this world is attachment

Collection #01

1) चाकू..... खंजर.........तीर और तलवार......
    लड़ रहे थे 
    कि......koun कितना ज्यादा घाव दे सकता है 
    और शब्द पीछे बैठे.....मुस्कुरा रहे थे 

2) कहते हैं कि हो जाता है संगत का असर 
    पर कांटों को आज तक नहीं आया 
    महकने का सलीका 
                             (गुलजार)
3) सोचता था 
    दर्द की दौलत से 
   एक मैं ही मालामाल हूँ 
   देखा जो गौर से 
   तो हर कोई रईस निकला 
                                (गुलजार)

4) Waqt bura tha 
    Aap to achche rahte 
                                (Ghalib)

5) Namaziyo का ab shailab aane wala hai
   पता चला है कि Ramdan आने वाला है 
   Ab मस्जिदों का daira zara बड़ा kar lo
   बस एक माह का musalman आने वाला है 
                                                          (Iqbal)

6) मैं जो दिखता हूँ वह नहीं हूँ 
    मैं हूँ आदमजात मगर इंसान नहीं हूँ 
    मैं फैला हूँ चार सू gard o गुबार sa
    जो है जगह meri वहाँ मैं नहीं हूँ 
                                             (Ghalib)

7) ठुकराया है मैंने भी बहुतों को 
    तेरे फासले का कारण शायद उनकी बद्दुआ है 

Jaun Eliya Poetry: इक हुनर है जो कर गया हूँ मैं, सब के दिल से उतर गया हूँ मैं

इक हुनर है जो कर गया हूँ मैं 
सब के दिल से उतर गया हूँ मैं 

कैसे अपनी हँसी को ज़ब्त करूँ 
सुन रहा हूँ कि घर गया हूँ मैं 

क्या बताऊँ कि मर नहीं पाता 
जीते-जी जब से मर गया हूँ मैं 

अब है बस अपना सामना दर-पेश 
हर किसी से गुज़र गया हूँ मैं 

वही नाज़-ओ-अदा वही ग़म्ज़े 
सर-ब-सर आप पर गया हूँ मैं 

अजब इल्ज़ाम हूँ ज़माने का 
कि यहाँ सब के सर गया हूँ मैं

कभी ख़ुद तक पहुँच नहीं पाया 
जब कि वाँ उम्र भर गया हूँ मैं 

तुम से जानाँ मिला हूँ जिस दिन से 
बे-तरह ख़ुद से डर गया हूँ मैं 

कू-ए-जानाँ में सोग बरपा है 
कि अचानक सुधर गया हूँ मैं 

'इंतिज़ार' करते शायरों के अल्फ़ाज़

माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख
- अल्लामा इक़बाल


ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
- मिर्ज़ा ग़ालिब


ये कैसा नश्शा है मैं किस अजब ख़ुमार में हूँ
तू आ के जा भी चुका है मैं इंतिज़ार में हूँ
- मुनीर नियाज़ी


कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
- गुलज़ार 

न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद
मगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था
- फ़िराक़ गोरखपुरी 


जान-लेवा थीं ख़्वाहिशें वर्ना
वस्ल से इंतिज़ार अच्छा था
- जौन एलिया 

तेरे आने की क्या उमीद मगर
कैसे कह दूँ कि इंतिज़ार नहीं
- फ़िराक़ गोरखपुरी  


वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी
इंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे
- परवीन शाकिर 

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया
- गुलज़ार 


वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा
तो इंतिज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं
- फ़रहत एहसास 

बस एक शाम का हर शाम इंतिज़ार रहा
मगर वो शाम किसी शाम भी नहीं आई
- अजमल सिराज


कहीं वो आ के मिटा दें न इंतिज़ार का लुत्फ़
कहीं क़ुबूल न हो जाए इल्तिजा मेरी
- हसरत जयपुरी

राहत इंदौरी

खबर मिली है कि 
Sona निकल रहा है वहाँ 
मैं जिस ज़मीन पर 
ठोकर लगा के lout आया 

मुझे ऐसा ही रहने दो।

मैं जैसा भी हूं मुझे
मुझ जैसा ही रहने दो
गर मेरी तकलीफों में
मैं खुश हूं तो
मुझे वैसा ही रहने दो।

क्यों बदलने की मुझको तुम
करते हो कोशिशें तमाम
फूल हूं तो खुशबू लो
पत्थर हूं तो फेक दो
मैं अच्छा हूं या हूं बुरा
जैसा हूँ वैसा ही रहने दो।

तुम्हें क्यों फिक्र है मेरी
कि मैं अलग हूं थोड़ा
मत परवाह करो मेरी
मैं बेपरवाह ही उम्दा हूं
गर लगता है ये तुमको
कि मर जाऊंगा मैं एक दिन
तो खामोश ही अच्छा हूं
मुझे ऐसा ही रहने दो।


मोहम्मद मिमशाद

ज़िंदगी की हक़ीक़त बयां करते शेर

जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है
- जौन एलिया

होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है
- निदा फ़ाज़ली

ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं
- इमाम बख़्श नासिख़ 


देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से
चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से
- साहिर लुधियानवी 

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
- निदा फ़ाज़ली


ज़िंदगी शायद इसी का नाम है
दूरियाँ मजबूरियाँ तन्हाइयाँ
- कैफ़ भोपाली 

ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को
अपने अंदाज़ से गँवाने का
- जौन एलिया 


ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में
हर घड़ी दर्द के पैवंद लगे जाते हैं
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ 

हालत-ए-हाल के सबब हालत-ए-हाल ही गई
शौक़ में कुछ नहीं गया शौक़ की ज़िंदगी गई
- जौन एलिया 


ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है
- बशीर बद्र

चलते रहो

नये युग की नई उड़ान में,
प्रकति की इस चिर पहचान में
नया है रथ नया है रास्ता,
चलने का सूरज को भी है वास्ता

रुकता नहीं चाँद भी जाड़े के सर्द दिनों में,
छोड़ते नहीं आशा चकवा अपने गमों में

इक आशा है जिंदगी,
इसी के सहारे चलती है ज़िंदगानी
क्योंकि सब जानते हैं दिन आएगा,
और होगी रात की रवानगी

चलते रहो चलते रहो
चलना ही ज़िंदगी है
और अब भी बैठे रहे तुम उदास
तो ये मानव जाति के लिए शर्मिंदगी है।

फ़िराक़ गोरखपुरी की ग़ज़ल

फ़िराक़ गोरखपुरी की ग़ज़ल- उस ज़ुल्फ़ की याद जब आने लगी


उस ज़ुल्फ़ की याद जब आने लगी
इक नागन-सी लहराने लगी

जब ज़िक्र तेरा महफ़िल में छिड़ा
क्यों आँख तेरी शरमाने लगी

क्या मौजे-सबा थी मेरी नज़र
क्यों ज़ुल्फ़ तेरी बल खाने लगी

महफ़िल में तेरी एक-एक अदा
कुछ साग़र-सी छलकाने लगी
 
या रब याँ चल गयी कैसी हवा
क्यों दिल की कली मुरझाने लगी

शामे-वादा कुछ रात गये
तारों को तेरी याद आने लगी
 
साज़ों ने आँखे झपकायीं
नग़्मों को मेरे नींद आने लगी

जब राहे-ज़िन्दगी काट चुके
हर मंज़िल की याद आने लगी
 
क्या उन जु़ल्फ़ों को देख लिया
क्यों मौजे-सबा थर्राने लगी

तारे टूटे या आँख कोई
अश्कों से गुहर बरसाने लगी
 
तहज़ीब उड़ी है धुआँ बन कर
 सदियों की सई ठिकाने लगी

कूचा-कूचा रफ़्ता-रफ़्ता
वो चाल क़यामत ढाने लगी
 
क्या बात हुई ये आँख तेरी
क्यों लाखों क़समें खाने लगी

अब मेरी निगाहे-शौक़ तेरे
रुख़सारों के फूल खिलाने लगी
 
फिर रात गये बज़्मे-अंजुम
रूदाद तेरी दोहराने लगी

फिर याद तेरी हर सीने के
गुलज़ारों को महकाने लगी
 
बेगोरो-क़फ़न जंगल में ये लाश
दीवाने की ख़ाक उड़ाने लगी

वो सुब्ह की देवी ज़ेरे-शफ़क़
घूँघट-सी ज़रा सरकाने लगी
 
उस वक्त 'फ़िराक' हुई ये ग़ज़ल
जब तारों को नींद आने लगी

परवीन शाकिर की ग़ज़ल 'मुझ में कोई शख़्स मर गया है'

परवीन शाकिर की ग़ज़ल 'मुझ में कोई शख़्स मर गया है'


रुकने का समय गुज़र गया है
जाना तिरा अब ठहर गया है

रुख़्सत की घड़ी खड़ी है सर पर
दिल कोई दो-नीम कर गया है

मातम की फ़ज़ा है शहर-ए-दिल में
मुझ में कोई शख़्स मर गया है

बुझने को है फिर से चश्म-ए-नर्गिस
फिर ख़्वाब-ए-सबा बिखर गया है

बस एक निगाह की थी उस ने
सारा चेहरा निखर गया है

Sunday, 12 March 2023

हिम्मत

हिम्मत 

माना कि राह में कांटे है कई
पर ये हिम्मत ही तो है जो बांधती है उम्मीद नई
जब जब बाधाओं ने रास्ता रोका
हिम्मत से मैंने खुद को लक्ष्य प्राप्ति में झोंका
जानता हूं लक्ष्य पाना है कठिन
पर हिम्मत हो साथ तो कुछ नहीं जटिल
जहां भी जीता जा सकता है, जान लो
बस रखो हिम्मत और मन में ठान लो
लक्ष्य की राह में जब मुसीबत दिखती
मेरी हिम्मत के आगे वो ना टिकती
विश्वास है पूरा होगा हर सपना
क्योंकि हिम्मत में थामा हाथ अपना
जब असफलता करे परेशान
हिम्मत ही है जो बनाए जीवन आसान

     Mohd Mimshad

Saturday, 11 March 2023

My Inspiration

Completely Dedicated To My Inspiration My Motivation My Father 


बन के मरहम हम सबके ज़ख्मों को भरते रहे...
और लोग मुझपे ही वार पे वार करते रहे।
हम जिन्हें अपना मानकर सबकुछ लुटाते रहे...
वे मुझसे ही बैमानियत की सारी हदें पार करते रहे।
गम नहीं जो कुछ ना मिला मुझे सिला के वास्ते ..
गम तो बस इतना सा ही है कि
वे बेवक्त राहें अपनी बदलते रहे।
साहिलों पे अक्सर डूब जाती हैं कश्ती प्यार की ...
और साहिलों को हम अपना मुकद्दर समझते रहे।
खुश हैं लोग आज कल मुझे दुःख देकर ...
और हम मुस्कुराते रहे उनकी ये अदा देखकर ।
लोग अक्सर भूल जाते हैं कि मैं
वही हूं जो कांटों की चुभन में भी
खुशियों की बरसात ढूंढ लेता है...
और दर्द क्या तड़पाएगा मुझे
मैं तो सारे दर्दों को भी हर लेता हूं।
छोड़ दो फ़िक्र मेरी छोड़ दो अब ज़िक्र मेरी...
मुझे जिंदगी से लड़ना बखूबी आता है...
है ये पल कितना भी बुरा तो क्या
हर वक्त गुज़र जाता है।
हम मुश्किलों को नथ कर उसपर सवार होते हैं...
फ़िक्र वो करें जो मुफ़्त की रोटी
खातें हैं और एसी कमरों में सोते हैं।
कर ले लाख बुराई ये ज़माना
है अपना सच्चाइयों से याराना
है कुछ ऐसा अपना घराना कि
हम आगे ही आगे बढ़ते रहे
और लोग उझर देखकर....
डाह द्वेष की जलन में तड़पते रहे
मुझपे वार पे वार करते रहे
फिर भी बन के मरहम हम सबके
ज़ख्मों को भरते रहे..
बनके मरहम हम सबके ज़ख्मों को
भरते रहे।

Thursday, 9 March 2023

About The Great Indian THAR Desert

मैं वो सहारा जिसे पानी की हवस ले डूबी
तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं
- सुल्तान अख़्तर 


हैरत से तकता है सहरा बारिश के नज़राने को
कितनी दूर से आई है ये रेत से हाथ मिलाने को
- उस्मानी


हमें रंजिश नहीं दरिया से कोई
सलामत गर रहे सहारा हमारा
- सिराज फ़ैसल ख़ान 

 

राब्ता क्यूँ रखूँ मैं दरिया से
प्यास बुझती है मेरी सहारा से
- ज़फ़र इक़बाल ज़फ़र

मैं था जब कारवाँ के साथ तो गुलज़ार थी दुनिया
मगर तन्हा हुआ तो हर तरफ़ सहारा ही सहरा था
- मनीश शुक्ला 


मेरे माथे पे उभर आते थे वहशत के नुक़ूश
मेरी मिट्टी किसी सहारा से उठाई गई थी
- क़मर अब्बास क़मर 

बाग़ में लगता नहीं सहारा से घबराता है दिल
अब कहाँ ले जा के बैठें ऐसे दीवाने को हम
- नज़ीर अकबराबादी 


हर कोई दिल की हथेली पे है सहारा रक्खे
किस को सैराब करे वो किसे प्यासा रक्खे
- अहमद फ़राज़ 

भड़काएँ मिरी प्यास को अक्सर तिरी आँखें
सहारा मिरा चेहरा है समुंदर तिरी आँखें
- मोहसिन नक़वी 


है अजब फ़ैसले का सहारा भी
चल न पड़िए तो पाँव जलते हैं
- जौन एलिया

Wednesday, 8 March 2023

Parizaad

वो सच ही तो कहता था 
कि हमेशा देर की मैंने 
कुछ जरूरी बात कहने में 
कोई वादा निभाने में 
तुम्हें आवाज देने में 
तुम्हें वापस बुलाने में 
हाँ मैं जानता हूँ
हमेशा देर की मैंने 
वो सच ही कहा था 
तुम्हें मिलने से पहले 
और तुम्हें बुलाने तक 
आख़िर क्यों..........?
इतनी देर की मैंने 


Happy International Women’s Day

जिन्होंने अपने कोख में सन्तान पाली है 
अफसोस उनके नाम से शुरू होती तुम्हारी हर गाली है 
माँ बहन के गाली के बिना 
कहाँ अपना क्रोध कह पाते हो तुम 
बोली तुम्हारी होती है 
हर माँ हर बहन को दर्द दे जाते हो तुम 
अगर वाणी को अपने 
शुद्ध कर पाओगे तुम 
तो यकीन मानो इसी जन्म में 
बुद्ध बन जाओगे तुम 
          
                                                     आर जे कार्तिक 

Tuesday, 7 March 2023

राहत इंदौरी की ग़ज़ल

राहत इंदौरी की ग़ज़ल- मोहब्बतों के सफ़र पर निकल के देखूँगा

मोहब्बतों के सफ़र पर निकल के देखूँगा
ये पुल-सिरात अगर है तो चल के देखूँगा

सवाल ये है कि रफ़्तार किस की कितनी है
मैं आफ़्ताब से आगे निकल के देखूँगा

मज़ाक़ अच्छा रहेगा ये चाँद-तारों से
मैं आज शाम से पहले ही ढल के देखूँगा

वो मेरे हुक्म को फ़रियाद जान लेता है
अगर ये सच है तो लहजा बदल के देखूँगा
 
उजाले बाँटने वालों पे क्या गुज़रती है
किसी चराग़ की मानिंद जल के देखूँगा
 
अजब नहीं कि वही रौशनी मुझ मिल जाए
मैं अपने घर से किसी दिन निकल के देखूँगा

                                                                राहत इंदौरी

Monday, 6 March 2023

# KamZarf Zamana

# KamZarf Zamana

Ae khuda Mai tere pass hi hu 
Tu bula le mujhe
Yahan bahut rahagir khade hain 
Mere zanaze k liye

Khuda ki ya jesus ki 
Bhagwan ki ya guru ki 
Kasam kis kis ki lu 
Kabhi toot k chaha tha kisi ko 
Aaj sirf nafrat hai mujhe usse

Iss baat ki kya garanti hai 
Ki tere khayalo me jo humesha rahta hai jo
Wo sirf tujhe hi chahe 
U hi nahi karta Mai 
Khud ki parwah
Ye kamzarf jamana
Badi bewafa hoti hai


              Mohd Mimshad 

KHUDGARZ

KHUDGARZ

Kitna mushkil hota hai na
Khud ko shabit karna
Kabhi duniya k samne
To kabhi apno k samne
Ya phir kabhi Khud k samne

Maine parinde ko dekha hai
Khud ko shabit karte hue
U hi khud ko
nirash mat kar tu
Ae bande
Bahe failay hue
Tera bhi intezar
Ye kamyabi kar rahi hai

Gar Hota kamyab hona
Itna aasan
To kya koi fark hota
Kaise banti
Ye jamin o aashman
Kaise banta Ye do jahan

U haar kar mat baith
Ae bande
Dusro ka to samay aata hai
Tere zamana aayega

Ye phool kante jaher jaam
Sab taiyaar hai
Tu bata to sahi
Taiyyari teri kaisi hai

Harna tere khoon me nahi
Gar hota to
Tu yahan hota nahi

Q haar maan raha hai
Arrr Ye bedard duniya hai
Kabhi kisi k sath nahi
Q manane ki koshish kar raha hai
Sab ko khush rakhne ki
Ye kisi ki aukat nahi

Maine khub dekha usko palate hue
Jispe tu bharosa kabhi kiya karta tha
Ja dekh
Jise tu apna kahta hai
Wo apna to khud bhi nahi

Mat kar U hi apne umar ko kharch
Jo tera nahi
Uska tu nahi

Thori himmat rakh, apni baat rakh
Koi na sune, to unchi apni awaz rakh
Ye khudgarzo ki duniya hai 
Sab ko apni padi hai
Tera koi nahi rakhega
Tu khud apna khyal rakh


                             Mohd Mimshad

Sunday, 5 March 2023

MM Raza #01

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1) मुझ से mohabbat पर, mashwarah मांगते हैं लोग,
    तेरा इश्क यू तजुर्बा दे गया मुझे

2)  Hum karte hain pooja uski aaj bhi 
    Log hume diwana kahte hain 
   Yu hi nahi marte uske husn par 
   Suna hai aaj kal Log use chand ka tukda         kahte hain

3) लोग कहते हैं कि तुझे सर पर चढ़ा रखा है 
   ताज 👑 पैरों पर नहीं रखते 
   ज़रा बताओ इन्हें 

4)  कई साल mohabbat करने के बाद
    ये ख्याल आया 
   घर वाले बहुत सख्त हैं 
   नहीं मानेंगे 

5) न जाने कितनी अनकही बाते साथ ले जाएंगे 
   लोग झूठ ही कहते हैं 
   खाली हाथ ही आए थे 
   खाली हाथ ही जायेंगे   

6) Aik waqt tha 
  Jab टूट कर chaha tha तुझे 
  अब khuda भी बन जाए 
  तो सजदा na karu

7) सुनो गीला बेरुखी का करेंगे 
   तुम से फुर्सत में कभी 
   पर अर्जी ये भी है खुदा से 
   कि कभी waqt न मिले 

 8) हम अपने आप में गुम थे 
    लेकिन हैरत की बात है 
    कि वहाँ भी तुम थे 

9) माँ चूप karao na phir se 
   तेरा लाडला ab ander से बहुत rota है 

10) Ae जिंदगी tune तो रुला कर रख दिया 
      जाकर पूछ meri माँ से 
     कितना लाडला tha मैं 

11) farz e दोस्ती na rakh Ae Farhad 
     दुश्मनों से भी खतरनाक होती है 
    Waqt बदल जाने पर 

12) shouk tha मुझे भी ज़माना घूमने का 
      लेकिन अब अपना घर अच्छा लगता है 

Saturday, 4 March 2023

Why there is always a "Common Man" ? Why not a "Common Woman" ?

There is always a common man instead of common woman because a woman can never be common, always special.
A special one can do everything thing far better than a common. 
There is no comparison between a man & woman.
Women are always special, if she is a mother, she is a sister, she is a wife or even she is a friend.
A woman can do anything beyond the thought process of a man.
A woman can give birth by conducting a enormous pain i.e equals to the pain of almost large number of fracture.
A woman gives support to her husband by leaving behind her great hero i.e her father, her brother.
They are the main conduits of a family.
They can replace a man very easily as compared to a man every field.
There is always a woman behind a successful man in the form of mother, sister, wife, or even a friend.
To save a woman the great war known as Mahabharat has taken place.
To protect a woman the great golden Lanka has burnt off.
Women can never be common.
They are always special as if she is Sita, Draupadi, Yasoda, or Parvati.
They are source of success, defeat, or even destruction.
They can form or can destroy as well.
They can be Kalpana Chawla to hoist a Flag in the moon, can be Mary Kom to win Olympics, can be Kiran Bedi to become an IPS officer, or can be Sarojini Naidu to become First Governer of India.
History can never forgot their contribution, their sacrifice, their dedication or their attention towards family, society, or nation.
According to Indian Literature women are known as "JAGAT JANNI" that she give birth to new life, new potential, new ideas, new inspiration, or even new commander.

So according to me What woman means .....
i.e W - Wonderful Mother
     O - Outstanding Friend
    M - Marvelous Daughter
    A -  Adorable Sister
    N - Nicest Gift to Man from God

But then also ......
Why women are treated so badly in our appreciated society ?
Why they are..............

नाउम्मीद

मैंने एक कहानी उस दिन लिखा था  जब शायद मैंने उनके आंसुओ के दरिया में अपना चेहरा देखा था उनकी आंसु एक अलग कहानी बता रही थी  शायद कहीं वो मुझे...