उनका aihtram karna,
गुनाहगार बना दिया मुझको
उस गुनाह की सज़ा भी क्या खूब मिली मुझको
ब़ाग को बागबां मिल गया
भौरा yu tanha rah गया
Aukat क्या थी मेरी, मुझको पता चल गया
ठुकराया मैंने भी बहुतों को tha
शायद उनका बद्दुआ असर कर गया
Zalim tha इश्क mera
मुझको रुस्वा कर गया
थामा tha हाथ जिसका
वो मुझको अकेला कर गया
Tajurba e आशिकी का क्या खूब मिला
Farhad को sheeri na मजनू को लैला मिला
वो गुनाह e azeem हो गया मुझसे
जो दुआओं में तुझको मांग लिया khuda से
क्या खतरनाक सज़ा होती meri
जो qubul दुआए होती meri
Khuda tera शुक्र है, dua na qubul की tune meri
तुझसे बेहतर koun जनता है क्या haq me hai मेरी
तूने सज़ा भी क्या खूब दिया
Gujasta ko गुनाह बता कर
आइंदा e Farhad ko बेहतर बना दिया
Mohd Mimshad
👍👍👍
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