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Wednesday, 5 April 2023

खुदा तेरा शुक्र है।

सोचता था कि गलती की थी मैंने 
उनका aihtram karna, 
गुनाहगार बना दिया मुझको 

उस गुनाह की सज़ा भी क्या खूब मिली मुझको 
ब़ाग को बागबां मिल गया 
भौरा yu tanha rah गया 

Aukat क्या थी मेरी, मुझको पता चल गया 
ठुकराया मैंने भी बहुतों को tha
शायद उनका बद्दुआ असर कर गया 

Zalim tha इश्क mera 
मुझको रुस्वा कर गया 
थामा tha हाथ जिसका 
वो मुझको अकेला कर गया 

Tajurba e आशिकी का क्या खूब मिला 
Farhad को sheeri na मजनू को लैला मिला 

वो गुनाह e azeem हो गया मुझसे 
जो दुआओं में तुझको मांग लिया khuda से 
क्या खतरनाक सज़ा होती meri
जो qubul दुआए होती meri

Khuda tera शुक्र है, dua na qubul की tune meri
तुझसे बेहतर koun जनता है क्या haq me hai मेरी 

तूने सज़ा भी क्या खूब दिया 
Gujasta ko गुनाह बता कर 
आइंदा e Farhad ko बेहतर बना दिया 

    Mohd Mimshad


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