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Saturday, 28 October 2023
हम तेरे बन्दे हैं मालिक, हमें माफ कर
खुदा मुझे माफ कर
मेरी गलत सोच पर
दुनिया के इन कारनामों पर
मेरे मालिक मुझे माफ कर
हँसी आती है मालिक
तेरे बंदों पर, खुद पर
लगा कर आग खुद दुनिया मे
कहते हैं कि हम पानी डालने वालों से है
सिर पर टोपी, दाढ़ी भी बड़ी घनी
जुबां पर गालियों के फूल
इंसानियत पर भी कांटे चुभे हुए
I support फिलिस्तीन
Social media पर एक अलग मुजाहेरा करते हैं
शायद हमे उमर की खिलाफ़त याद नहीं
हम भूल चुके हैं इस्लामी हुकुमत को
जिस नाच गाने की इस्लाम में कोई जगह नहीं
उसी के बिना हमारा दिन गुज़रता नहीं
ये सारी गलतियां हम कर रहे हैं मालिक
लेकिन तेरे बन्दे हैं, हमे माफ़ कर
क्या वाकई ये जंग है
या हमारे गुनाहों का नया अज़ाब है
जब हम नेक राह पर थे
पूरी दुनिया मे हम ही शहंशाह थे
हमारे गुनाहों की सज़ा उन बेगुनाहों न दे
रहम कर मालिक, हमे माफ़ी दे
हम जानते हैं मालिक
जिस गलती को देख उमर ने
अपने बेटे को माफ़ तक न किया
आज हम खुले आम
छेड़ते हैं गैर मेहराम
लेकिन तूने इब्न ए उमर को माफ़ किया
हमारी भी दरख्वास्त है मालिक,
फिलिस्तीनीयो को भी बचा
औरतों को पर्दे का हुक्म है
मर्दों का भी नजरो को झुकाना
सुन्नत ए नबी है
हर एक सुन्नत का जनाज़ा हम रोज़ निकालते हैं
मेरे खुदा वो ज़ालिम सब को बेपर्दा कर रहे हैं
हम बस यही दुआ कर रहे हैं
जो बिलावजह जुल्म कर रहे हैं
मेरी दुआओं को कुबूल कर
उन ज़ालिमो से मासूमों को बचा
हुक्मरानों ने जब ख्वाजा को पानी नहीं दिया
तूने पानी को ख्वाजा के पास भेज दिया
हमारी ज़ाहिलीयत भी कम नहीं
प्यासों को पूछना भी अब हमें ग्वारा नहीं
मालिक उन प्यारे बच्चों को भी
गैब से रोजी अता कर
हमारे गुनाहों की सज़ा उन्हें न दे
हम तेरे बन्दे हैं मालिक, हमें माफ कर
तू तो हर दिन हमें आवाज देता है
हम बेहयाइयो में सारा वक्त गुज़ार देते हैं
मस्जिदें खाली छोर,
सिनेमा घरों की शान बढ़ाते हैं
तेरा करम है,
मस्जिद ए अक्सा की शान बरकरार है
मालिक मस्जिद ए अक्सा की हिफाजत कर
हमारी गलतियों के लिए हमें माफ़ कर
मोदी मुस्लिमो पर ज़ुल्म करता है
सभी के जुबां पर यही कौल रहता है
चौबीस घंटे में
चौबीस हजार सुन्नतौ का जनाज़ा निकालते हैं
खुद को मुसलामान कहते हैं
हमें राहे मुश्तकीम पर चलने की तौफिक अता कर
मालिक फिलिस्तीनी की हिफाजत कर
किसकी अच्छाई बयां करूं
आँखों की या
हमेशा गानों की तरानो से भरे कानो की
गंदी फ़िल्मो की दीदार करते ये आंख
जुबां भी खुले तो गालियों के फूल बरसे
खुद को मुसलामान कहते हैं
अपनों का गला भी बड़े शौक से काटते हैं
इन सब की सज़ा से उन मजलूमो को बचा
हमें सही राह पर चला
इंसानियत के कौम को बचा
हमें माफ कर मालिक
सब पर रहम कर
फिलिस्तीनी को बचा
ऐसा कुछ फिर एक बार करिश्मा कर
Mohd Mimshad
Sunday, 15 October 2023
फ़लस्तीन कथा इन शॉर्ट
घर था तीन कमरों का। उसमें चार लोगों का एक परिवार रहता था।
बाहर से एक बंदा आया। लोगों ने किराए पर एक कमरा दे दिया। कुछ महीनों बाद उसने वरांडा क़ब्ज़ा कर लिया। लोगों ने सवाल किए तो चीखने लगा कि मुझ पर अत्याचार हो रहा। पड़ोसी ने सहायता की और उसने एक और कमरा क़ब्ज़ा कर लिया।
पंचायत ने फ़ैसला दिया कि बाहर से आये आदमी को दो कमरे मिलेंगे। एक कमरा और वरांडा मकान मालिक का होगा। पंचायत का हेड दोस्त था बाहरी का।
बाहरी ने फ़ैसला नहीं माना और दोनों कमरों के साथ वरांडा भी क़ब्ज़ा कर लिया। फिर कुछ दिन बाद किचन भी क़ब्ज़ा कर लिया। आख़िर में पूरा घर क़ब्ज़ा कर लिया और पिछवाड़े की जगह मालिक को दे दी। बाहरी ने अपने रिश्तेदारों को भी बुला लिया।
बाहरी का दावा था कि उसके पूजाघर में रखी किताब में लिखा है कि यह घर उसका है और उसके पुरखे 3300 साल पहले 70 दिन यहाँ रह चुके हैं।
पिछवाड़े में वे शेड डालकर रहने लगे। बाहरी ने बिजली काट दी। पानी की सप्लाई रोक दी। फिर एक दिन उस घर के लड़के को इतना मारा की हड्डी टूट गई। बाप समझाने गया तो उसको भी मारा।
दूसरे लड़के को ग़ुस्सा आ गया। उसने धक्का दे दिया और बाहरी गिर पड़ा।
बाहरी का दोस्त पड़ोसी चिल्लाया - आतंकी है यह लड़का। गुंडा है। मारो इसको मैं साथ हूँ। पड़ोसी के दिये हथियार से बाहरी पूरे घर को मारने लगा।
उस घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर कुछ सियार रहते थे। पड़ोसी की आवाज़ सुनकर चिल्लाने लगे-मारो मारो मारो
Md Tanweer Alam
Saturday, 14 October 2023
माना कि पत्थर कई है रास्ते पर कामयाबी के
उन्हीं पत्थरो पर कामयाबी की लकीर खिंच
फसल भले ही धूप में जले
तू उसको एक बार फिर से सिंच
देखना कामयाबी खुद कदम चुमेगी
रुसवा जो हैं तुझसे
एक बार फिर स्वागत करेगी
मैं क्या दु तुझे दुआऐ
खुद किस्मत ने दरिया के भंवर में डुबोया मुझे
कहने के लिए ही सही तू कुछ तो मान
दुआ है मेरी
हमेशा साथ तेरी
रुस्वाई पर फतेह करे तू
अपने सारे ख्वाब पूरे करे तू
कांटों की लहरों से निकल कर
फ़ूलों की खुशबु से अपनी पहचान लिखे तू
माँ सरस्वती की कृपा रहे
लक्ष्मी जी भी तुझ में वास करे
माँ पार्वती सी दुनिया में राज करे तू
कभी दूर्गा बन
किसी राम को उसके मंजिल तक पहुंचाए तू
*Wishing You The Happiest Birthday*
Mohd Mimshad
Thursday, 5 October 2023
बाबा का मुकाम
पत्थर जैसा जो बेहिसाब सख्त है
कड़क कांटों सा जिसका मिजाज़ है
कभी कली की देखभाल करता है
कभी मिट्टी के बर्तनों को तरासता है
वही है जो नई दुनिया के दर्शन कराता है
कोई और नहीं ये मुक़ाम पिता के हिस्से आता है
खुद को धूप में जला कर
दो वक्त की रोटी सेकता है
खुद फूलों की तरह बिखर कर
दूसरों तक महक फैलाता है
ये हुनर सिर्फ़ एक पिता को आता है
ये मुक़ाम सिर्फ़ पिता के हिस्से आता है
सड़कों की बात करूं मैं
या फिर कहानी सुनाऊँ एक खेव्वैये की
मंज़िल तक राहगीर को पहुंचाकर
अपने जगह वापस आ जाता है
ये किस्सा एक पिता की याद दिलाता है
ये मुक़ाम एक पिता के हिस्से आता है
खाई हो या दरिया में तन्हाई हो
सब से लड़ना आता है जिसे
परेशानियों को परेशान कर
हर मुश्किलों से लड़ना आता है जिसे
शोलों से भी ज्यादा चिंगारी सीने में भर कर
परिवार के लिए एक अलग अवतार लेता है
ये मुकाम एक पिता के हिस्से आता है
अपने सच्चे ख्वाब का गला घोट कर
अपने बच्चों में एक नए सपने के जाल को बुनता है
बस्ते को खरीद कर बड़े प्यार से मुस्कराता है
एक उम्मीद की नई किरण के साथ
बच्चे को स्कूल तक छोर कर आता है
बाबा ने मेरे लिए क्या किया
बच्चे उनके मुह पर कह कर जाता है
ये सब कुछ एक पिता सहता है
ये मुकाम एक पिता के ही हिस्से आता है
ऐ आज के ज़माने के लड़के
जगह को देख तू एक दिन अपने पिता के
वो रोज कितने ठोकरों का सामना करता है
जिस पैसे से तू ऐयाशी करता है
उसे जमा करने के लिए एक पिता
रोज पुलसेरात से गुज़रता है
ये मुकाम सिर्फ़ एक पिता के हिस्से ही आता है
खुद गुलाम की तरह जिंदगी गुज़रता है
अपने लाडलों को शहंशाह बनाता है
ईद हो या हो दिवाली
फटे कपड़ों में ही उसकी शान बनी रहती है
त्योहारों पर नए कपड़े होने ही चाहिए
हमेशा उनके जुबां पर ये बात रहती है
पापा की परी लोग कहते है जिसे
एक पिता को वो जान से भी प्यारा होता है
ये मुकाम भी एक पिता के हिस्से आता है
तारीफ़ करू या बाबा की दर्द बयां करू मैं
मेरे कलम में वो ताकत नहीं
पिता के शख्सियत को कागज पर उतारू मैं
शायद यही कारण है
शायर के कलम कांपते होंगे
बाबा का नाम सुन कर शायर भी डर जाते होंगे
माँ के बारे सभी लिखते हैं
लेकिन पिता से तुम्हारे सारे गुण दिखते हैं
बाबा आज मैं अकेला हू
कौन सहारा देगा
तुम थे तो हिम्मत थी मुझमें
हर सवाल का ज़वाब तुझसे मिलता था
बेशक यह मुकाम भी तेरे ही हिस्से आता था
Mohd Mimshad
Wednesday, 4 October 2023
याद आए वही पुराने दिन
कल जब मैं घर को लौट रहा था
तुम फिर एक बार दिखी थी
काफी खुश लग रही थी
बस झूम कर मुस्कुरा रही थी
मुझे फिर याद आए वही पुराने दिन
वही तेरी बालों की हरारत
तेरी नादानीया, तेरी बेबाकीया
तेरे कई सवाल, मेरे हर जवाब
याद मुझे आज भी सबकुछ है
शायद अब तुझे मैं याद नहीं
मुझे भूलना मत
आखिरी दिन ये कौल तुम्हारा था
मुझे यू अकेला छोड़ना
ये हसीं फैसला भी तेरा था
नफरत नहीं है मुझे तुमसे
बस मैं गुस्सा हूँ खुदसे
एक बेईमान को
हमदर्द समज लिया मैंने
जिसे कोई मतलब ही न था
उसे मैंने बिना मतलब ही अहम मुकाम दे दिया
सकल अच्छाई का दिखाकर
तू तो बाहिजाब निकला
अब नहीं करता तुझे मैं याद
अपनी तल्ख़ जुबां पर अब गुमान है मुझे
अपनी नर्मी का अब पछतावा है मुझे
सीख रहा हूं मैं भी अब
दुनिया को पढ़ने का हुनर
यहां तेरी तरह
सब बाहिजाब है
शिकायत तुझसे नहीं है
खुदा का शुक्र है
उसने मिलाया मुझे तुझसे
आज दुनिया मे चलने के लिए
आगाह किया उसने
नफरतो की आग सीने में भड़क रही है
कांटों से एक नया समंदर भर रहा है
दिल भी पत्थर बन रहा है
दया के आंसू भी अब सुख रहे हैं
अपनी नादानी में मैंने गलती की
दूसरों पर भरोसा किया
इंसानियत की कीमत कुछ भी नहीं
अपनों ने ही मुझे बेसहारा किया
Mohd Mimshad
ख्वाब तेरे हैं, बेशक तेरे हैं
इस आजमाइश की दुनिया मे
सारे इम्तेहान तेरे हैं
रास्ते मे परे पत्थर को तोड़
आग के दरिया को तू हंस कर पार कर
दुआ है मेरी फूलों सा खुशबु फैलाए तू
ख़्वाब पूरे हो, कामयाबी का झंडा फहराए तू
परेशानियों को यू परेशान कर
हमदर्द को हमेशा झुक कर सलाम कर
दरिया तेरे गीत गाए
आसमान भी तेरे नगमें गुनगुनाए
अपने नाम को ऊंचा कर
नए सपने को पूरा कर
इस नए साल में एक नई कहानी लिख
अपने हौसलों से अपनी कामयाबी लिख
Happy Birthday
Mohd Mimshad
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