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Thursday, 13 July 2023

ऐ ज़िंदगी तूने तो रुला कर रख दिया

ऐ ज़िंदगी तूने तो रुला कर रख दिया 
जाकर पूछ मेरी मां से कितना लाडला था मैं 

माँ ने प्यार से गोद में खेलना सिखाया 
पापा ने उंगली पकर कर चलना सिखाया 

मामा-खाला ने mohabbat से उड़ना सिखाया 
नाना-नानी ने इश्क की सीढ़ी बना कर आसमान पर बिठाया 

ऐ ज़िंदगी तूने तो रुला कर रख दिया 
जाकर पूछ मेरी सब से कितना लाडला था मैं 

जब आंखों में आंसू मेरे आते 
पूरा घर परेशान हो जाता था 

ऐ ज़िंदगी तेरे कदर की क्या तारीफ़ करू 
अब तूने मुझे रोने के लायक भी ना रखा 

तेरे आशिकी पर कुर्बान जाऊं मैं 
तूने मुझे हर मोड़ हर राह पर परेशान किया 

कभी सब से जुदा किया 
कभी अनजान सी जगह पर अकेला छोड़ दिया 

ऐ ज़िंदगी तूने तो रुला कर रख दिया 
जाकर पूछ मेरी मां से कितना लाडला था मैं 

तोड़ कर तेरी सारी बंदिशें जब मैं वापस आया 
तुझे मैं अब क्या कहूं तूने भी खूब प्यार दिया 

मुखतशर से वक्त में मेरा कुछ यूं पैग़ाम दिया 
आगाज़ हुआ भी न था तूने अंजाम दिया 

फिर भी मैं लड़ता रहा सब को तेरे सुपुर्द कर 
क्या तूने भी बदला लिया मुझ से सब कुछ छीनकर 

तू बता ना मुझे ऐसी क्या खता हो गई 
जिसे मैं अपना समझा वो भी छोड़कर चली गई 

ऐ ज़िंदगी तूने तो रुला कर रख दिया 
जाकर पूछ मेरी मां से कितना लाडला था मैं 

तेरी मजाक मुझ से बहुत हुई 
लगता है तू मुझे समझा नहीं 

मुझे मासूम समझता है 
मेरे बदलाव का तुझे अंदाजा नहीं 

ऐ ज़िंदगी मेरे व्यक्त बदलने का इन्तेज़ार न कर 
तू मुझे खुद दूर कर निश्त-नाबुद कर

गर ठहर गया मैं इस समंदर के तूफ़ान मे 
एक ज्वाला का पत्थर बन के उतरूंगा इस जहां में 

सब को तुझसे दूर जाने को रोयेंगे 
खुदा से मौत की पनाह मांगेंगे 

ऐ ज़िंदगी यू ज़ुल्म न कर लोगो पर 
हमसाया बन,  कदर कर, रहम कर 

ऐ ज़िंदगी तूने तो रुला कर रख दिया 
जाकर पूछ सब की माँ से कितने लाडले थे सब

Mohd Mimshad








Monday, 10 July 2023

अपने सामान को बांधे इस सोच में हू 
जो कहीं के नहीं रहते वो कहाँ जाते हैं 

Sunday, 9 July 2023

हम घर को फिर लौट आएँगे

कई रात गुज़ारे आंसुओ की दरिया में 
कई दिन कट गए झूठी मुस्कान में 
फिर भी एक उम्मीद की किरण थी 
एक दिन फिर साथ होंगे 
हम घर को फिर लौट आएँगे 

चार दीवारों की दुनिया मे 
यू सीमट गया था मैं 
कुछ करने की चाहत को लेकर 
घर से निकल गया था मैं 
एक दिन हम भी कुछ कर जाएंगे 
हम घर को फिर लौट आएँगे

अकेले तन्हाई के समंदर में 
कुछ सपने लिए गोता लगा चुका था मैं 
हाय रे ज़िंदगी ! तेरा भी क्या उसूल है 
एक गहरे भंवर में फंस गया था मैं 
हर भंवर को ज़रूर आएँगे 
हम घर को फिर लौट आएँगे

सपनों से ज्यादा तुम याद आते हो 
Abba तुम अपना प्यार कभी क्यों नहीं दिखाते हो 
Ammi तो खैर है मारती थी, 
mohabbat से खाना खिलाती थी 
एक दिन सपना तुम्हारा जरूर पूरा करेंगे
हम घर को फिर लौट आएँगे

Mohd Mimshad





Thursday, 6 July 2023

किताबें झाँकती है बंद आलमारी के शीशों से 
बड़ी हसरत से तकती है 
महीनों अब मुलाकातें नहीं होती 
जो शामे उनकी सोहबत पे कटा करती थी 
अब वो अक़्सर 
गुजर जाती है computer की पर्दों पर 

गुलजार 

मैंने तुम से आशिकी का नया सलीक़ा सीखा है 
एक बदगुमान को आशिक बना कर छोड़ना सीखा है 
तुम्हारा हमसफर तुम्हें मुबारक हो, मुझे कोई गिला नहीं 
बस खुद को बदनाम कर, बेशरम रहना सीखा है 

Monday, 3 July 2023

बाबा की नई उम्मीद

एक ख्वाहिशमंद बाप                   
दिल मे कुछ उम्मीद लिए 
आंखों में एक सपना लिए 
दिल में एक अरमान सजाता हैं 
अपने बच्चों स्कूल तक छोड़कर आता है 

स्कूल का बस्ता खरीदते वक्त 
खुद के टूटे हुए सपनों को 
बच्चों के बस्ते में समेटता है 
फिर से उम्मीद की नई किरण के साथ 
अपने बच्चों स्कूल तक छोड़कर आता है

अपने सारे ख्वाहिशों से मन मारकर 
बच्चों के हर जिद्द को पूरा करता है 
हर परेशानियों को भुला कर 
एक नई सुबह एक नई उमंग के साथ 
अपने बच्चों स्कूल तक छोड़कर आता है

शाम में थक हारकर, दुनिया से लड़कर 
अपने हर मुश्ताक को खाक कर 
अपने बच्चों की मुस्कान के लिए 
रास्ते से मिठाई ले आता है
अपने बच्चों स्कूल तक छोड़कर आता है

Mohd Mimshad

नाउम्मीद

मैंने एक कहानी उस दिन लिखा था  जब शायद मैंने उनके आंसुओ के दरिया में अपना चेहरा देखा था उनकी आंसु एक अलग कहानी बता रही थी  शायद कहीं वो मुझे...