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Thursday, 24 August 2023

ऐ बचपन बता क्या हाल है तेरा

वो ख्वाब तेरे, आसमां में परिन्दे जैसे,
गुलाब की पंखुरी के तरह, 
मासूमियत के खुशबु तेरे, 
ऐ बचपन तू बता क्या हाल है तेरा ??

माँ की आंखों के तारे 
तो कभी बाप का लाडला था 
कभी नखरे उठाता 
तो कभी सिर्फ तेरा ही बोलबाला था 
ऐ बचपन तू बता क्या हाल है तेरा ??

नाना नानी के आंखो की ठंडक तो 
मामा खाला के दिल का सुकून था 
स्कूल जाते wakt एक डर तो 
घर आते wakt एक अलग sa मुस्कान था 
ऐ बचपन तू बता ना क्या हाल है तेरा ??

तेरे भी क्या अरमान थे 
खुद को पीछे छोर 
ज़िम्मेदार बनने के होर थे 
सुना है अब तो तेरे ख्वाब पूरे हुए 
अब तू भी जिम्मेदारी उठाता है 
ऐ बचपन अब बता क्या हाल है तेरा ??

गली के वो गुल्ली डंडे का खेल 
अब इस ज़माने में जज्बातों के खेल को देख 
तू भी अब सोचता होगा 
कहां शराफत की जिंदगी जीने लगा 
ऐ बचपन फिर भी कुछ तो बता क्या हाल है तेरा ??

Mohd Mimshad


Tuesday, 22 August 2023

पता नहीं मैं कौन हूँ !!

मैं एक नई दुनिया के
बड़े से दरिया मे 
उभरते हुए भंवर में 
फसा हुआ 
एक छोटा सा कश्ती हूँ 
पता नहीं मैं कौन हूँ !!

आगे बढ़ू तो दरिया की लहर है 
पीछे चट्टानों से बनी एक बड़ी खाई है 
ऐ खुदा अब तुझसे मैं क्या गिला करूं
एक सुनसान किनारे पर अकेला खड़ा हूं 
पता नहीं मैं कौन हूँ  !!

इस समाज के ताने एक तरफ
कभी खुद के साथ समझौता एक तरफ
न जाने किस सवाल का ज़वाब ढूंढ रहा हूं 
एक अनजान सड़क पर निकल पङा हू  
खुद के मंजिल को भुला रहा हूं 
बस चला जा रहा हूं 
पता नहीं मैं कौन हूँ 

जीई चाहता है सब छोर कर चला जाऊँ 
कुछ ख्वाब है,  कुछ जिम्मेदारी है 
यही सोच कर चुप हो जाता हू मैं 
कभी खुद से बाते करता हू
अकेले में रोता हू, सोचता हूं
पता नहीं मैं कौन हूँ

कोस्ता हूं, 
अपने बदकिस्मती पर रोता हू
खुदा से भी यही पूछता हू
पता नहीं मैं कौन हूँ


Mohd Mimshad





बाबा की कुर्बानी

कल मैंने तुम्हारे कुछ हिसाब देखे 
कुछ अनोखे सवाल मिले तो 
कई ज़वाब गुमनाम मिले 
Abba इतने अकेले थे तुम..
कुछ तो बात करते हमसे 
हम तो साथ ही थे ना...

तेरे जगह को कैसे पूरा करू मैं 
तेरे चाहने वालों को कैसे शांत करू मैं 
बहुत परेशान हैं तेरे बगैर हम सब 
क्या करूं कैसे सब को ज़वाब दू मैं 
कुछ तो बात करते हमसे 
हम तो साथ ही थे ना...

बहुत अकेले हूँ तेरे बिना 
दुनिया वैसी ही मिल रही है जैसा तुझसे सुना 
चाहने वालों की गिनती कम है 
लूटने वाले हर जगह मिल रहे हैं 
कुछ तो बात करते हमसे 
हम तो साथ ही थे ना...

 बलिदानों की कोई कीमत नहीं इस दुनिया मे 
 ज़ज्बात का सिर्फ़ मजाक बनता है लोगों की जुबा में 
तुम सही ही तो कहते थे 
बहुत मुश्किल है इस ज़माने का सामना करना 
तेरी हर एक बात पत्थर की लकीर निकली 
सीखा देते मुझे भी 
कितना आसान होता दुनिया के सामने खडा होना 
कैसे करते थे अकेले सब कुछ 
कुछ तो बात करते हमसे 
हम तो साथ ही थे ना...
 
मंज़िल तो मेरी कुछ और थी ना 
सपने कुछ तुमने भी तो सजाये थे 
Abba आखिर क्यों छोर कर चले गए 
इस बेरहम सी दुनिया मे एक्दम अकेला कर गए 
तेरी जिम्मेदारी, तेरे सपनों को कैसे अकेले पूरा करू मैं 
किससे अब मदद मांगू मैं
सब कुत्तों की तरह नोचने लगे हैं 
अपनों के भी नियत अब बदलने लगे हैं 
 इन सब बोझ को कैसे उठाते थे 
कुछ तो बात करते हमसे 
हम तो साथ ही थे ना..

आज याद तेरी बहुत आती है 
तेरे हर दांट सुनने को कान तरसती है 
बहुत बाते थी तुझसे करने को 
अब किस को अपने दिल का हाल सुनाऊं मैं 
कोई decision लेना हो तो किसके पास जाऊँ मैं 
तुम किस से बाते करते थे 
किस को दिल का हाल सुनाते थे 
मैं तो अब लौट आया  था ना 
कुछ तो बात करते हमसे 
हम तो साथ ही थे ना..

Abba फिर भी तेरा शुक्र है 
तूने मुझे एक खुशनसीब बेटा बनाया 
जहां भी जाऊँ 
सब ने तेरा नाम जताया 
दिल को एक अलग सा सुकूं मिला 
जब तारीफ़ तेरा मैंने औरों से सुना 
तेरे नाम को कभी मिटने नहीं दूंगा 
सारी जिम्मेदारी मैं अपने सर उठाऊंगा 
ख्वाब तेरे मैं पूरा करूंगा सारे 
ये तुझसे वादा रहा मेरा 
बस हमसाया बन साथ रहना मेरे 
एक नया परचम लहराउंगा नाम के तेरे 


Mohd Mimshad




Thursday, 17 August 2023

अपनी कहानी का एकलौता गवाह हूं मैं 
सिर्फ़ मुझे पता है किस दौर से गुज़र रहा हूं मैं 


Saturday, 5 August 2023

आंखो की नमी खुश्क हो चुकी है 
दिल भी अब पत्थर बनता जा रहा है 
तुम गैरों की बात करते हो 
मुझे तो अब खुद पर भी भरोसा नहीं 
मेरे अंदर खून नहीं 
आंसुओ का दरिया बनता जा रहा है 

नाउम्मीद

मैंने एक कहानी उस दिन लिखा था  जब शायद मैंने उनके आंसुओ के दरिया में अपना चेहरा देखा था उनकी आंसु एक अलग कहानी बता रही थी  शायद कहीं वो मुझे...