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Friday, 23 August 2024

शायद अब मरने को जी चाहता है

खामोश हो जाने को जी चाहता है 
अकेले ही रह जाने को जी चाहता है 
हार गया हूं मैं अब, इस खूबसूरत सी दुनिया से 
शायद मर जाने को जी चाहता है

कभी गुम हो जाने को जी चाहता है 
इस बारिश में ढह जाने को जी चाहता है 
थक गया हूं मैं, मुस्कराहट का मुखौटा पहन कर 
अब खुल कर रोने को जी चाहता है

कभी खुद से नज़रे मिलाने को जी चाहता है 
कभी खुद से ही रूठ जाने को जी चाहता है 
मर गया हूं मैं दूसरों को खुश करते करते 
कभी खुद को खुश करने को जी चाहता है

जिंदगी को खरीदने को जी चाहता है 
मौत के हाथों बिकने को जी चाहता है 
बहुत बेबस सा हो गया हूं 
शायद अब मरने को जी चाहता है

Mohd Mimshad

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