अकेले ही रह जाने को जी चाहता है
हार गया हूं मैं अब, इस खूबसूरत सी दुनिया से
शायद मर जाने को जी चाहता है
कभी गुम हो जाने को जी चाहता है
इस बारिश में ढह जाने को जी चाहता है
थक गया हूं मैं, मुस्कराहट का मुखौटा पहन कर
अब खुल कर रोने को जी चाहता है
कभी खुद से नज़रे मिलाने को जी चाहता है
कभी खुद से ही रूठ जाने को जी चाहता है
मर गया हूं मैं दूसरों को खुश करते करते
कभी खुद को खुश करने को जी चाहता है
जिंदगी को खरीदने को जी चाहता है
मौत के हाथों बिकने को जी चाहता है
बहुत बेबस सा हो गया हूं
शायद अब मरने को जी चाहता है
Mohd Mimshad
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