जन्म माँ ने दिया
कंधा गैरों ने
बुढ़ापे में बच्चों ने सहारा दिया
चलना सिखाया पिता ने
कौन हो तुम.........?
घमंड है तुम्हें, तुम्हारे ज्ञान का
लेकिन सच तो ये है कि
ये भी तुम्हें गुरूवर ने दिया
कहते हो पिता से,
निभाई है सिर्फ जिम्मेदारी
तो बताओ जरा
गर निभाई नहीं होती जिम्मेदारी
फिर कौन हो तुम.......?
तुझे चाहा किसी और ने
तुम्हारी चाहत कोई और है
तुम्हारी हर जरूरत को जिसने पूरा किया
आज वो तुम्हारा बोझ है
क्या सच क्या झूठ खुदारा समझा मुझे
सही बताओ उसके बगैर
कौन हो तुम.......?
बारिश में कागज की नाव
गर्मी में बर्फ के गोले
सर्दी में वो स्वादिष्ट पकवान
वो सरसों का साग
वो मक्के की रोटी
बनी तेरे लिए अन्नपूर्णा
छोर कर अपनी चाहत
तो बताओ मुझे
उस माँ के बगैर
कौन हो तुम.......?
क्या तुम्हें याद नहीं
किस कद्र धूप ने जलाया
काम में मालिक ने सताया
घर को कैसे सजाया
कैसे तेरा पहचान बनाया
पिता से तुम हो
तुमसे पिता नहीं
फिर घमंड किस बात का
किस बात की है साज़िश तुम्हारी
कुर्बानी न दी होती तुम्हारे खातिर
फिर कौन हो तुम.......?
मोहम्मद मिमशाद